कांग्रेस ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी पर ‘भारतीय जासूस पार्टी’ होने का आरोप लगाया और दावा किया कि ‘संचार साथी’ ऐप (Sanchar Saathi) लोगों के घरों में घुसने का षडयंत्र है। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह दावा भी किया कि संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भले ही ऐप से जुड़े दावों से इनकार किया हो लेकिन संबंधित निर्देश को अब तक लिखित रूप से वापस नहीं लिया गया है।
कांग्रेस नेताओं ने यह सवाल उठाए कि क्या सरकार को यह अधिकार है कि उसे 80 करोड़ डिजिटल नागरिकों की सहमति मान लेने का दावा हो? क्या हर नागरिक के फोन में ऐप ठूस देने से पहले उनके निजी जीवन, मैसेज, कॉल या फोटो जैसे निजी डेटा की “स्वैच्छिक” अनुमति ली गई थी? यदि यह ऐप सुरक्षा के नाम पर है, तो क्या सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि इसके द्वारा निजी बातचीत, रिश्तों या रोजमर्रा की जिंदगी पर नजर नहीं जाएगी?
खेड़ा ने किसी का नाम लिए बिना संवाददाताओं से कहा कि देश में दो जासूस हैं। इन दोनों जासूसों ने 2014 में नारा दिया था: घर-घर मोदी। ये दोनों जासूस आज सिर्फ इसी नारे पर अमल कर रहे हैं। अब ये दोनों जासूस हर मोबाइल में ‘संचार साथी’ नाम का हाथी बैठाना चाहते हैं। क्योंकि, जासूसी करना इन लोगों की पुरानी आदत रही है।’
तेजस्वी यादव को खोज रहे हैं JDU-BJP के नेता.. आकाश में, पाताल में, दिल्ली में या अफ्रीका में?
उन्होंने कटाक्ष करते हुए सवाल किया कि इस सरकार को बेडरूम में घुसने की आदत क्यों है? उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लिखित आदेश है कि अब हर मोबाइल में ‘संचार साथी’ नाम का ऐप प्री-लोडेड होगा। मगर संचार मंत्री मौखिक तौर पर कह रहे हैं कि ये ऐप ‘डिसेबल’ हो सकता है। खेड़ा ने दावा किया कि भारतीय जासूस पार्टी’ की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार सुरक्षा का बहाना बनाकर निजता पर निशाना साधना चाहती है।
खेड़ा ने कहा कि पेगागस स्पाईवेयर को पीछे के दरवाजे से इस्तेमाल किया गया, लेकिन ‘संचार साथी’ का उपयोग सीधे कानूनी रूप से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस षड्यंत्र के खिलाफ हर स्तर पर लड़ाई लड़ेंगे और जनता की निजता का हनन नहीं होने देंगे। मोदी सरकार का लिखित आदेश है कि अब हर मोबाइल में ‘संचार साथी’ नाम का ऐप प्री-लोडेड होगा। मगर संचार मंत्री मौखिक तौर पर कह रहे हैं- ये ऐप डिसेबल हो सकता है। ‘भारतीय जासूस पार्टी’ की कथनी और करनी में हमेशा अंतर रहा है। यह सरकार सुरक्षा का बहाना बनाकर प्राइवेसी पर निशाना साधना चाहती है।
















