मुंबई : महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत ने बीजेपी के मंत्री गिरीश महाजन पर तीखा हमला बोला है। राउत ने गिरीश महाजन को ‘नचनिया’ कहकर तंज कसा और आरोप लगाया कि वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आगे-पीछे ठुमके लगाने के अलावा कोई काम नहीं करते।
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब गिरीश महाजन ने एक बयान में कहा था कि बाल ठाकरे की शिवसेना को जमींदोज कर दिया जाएगा। इस बयान पर पलटवार करते हुए राउत ने शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने संपादकीय के जरिए बीजेपी और महाजन पर जमकर भड़ास निकाली।
संजय राउत ने अपने संपादकीय में लिखा, “बीजेपी के मंत्री गिरीश महाजन ने अहंकार में कहा कि शिवसेना को जमींदोज कर देंगे। लेकिन शिवसेना कोई बिकने वाली चीज नहीं है, यह एक विचारधारा है। विधायक-सांसद बह सकते हैं, लेकिन शिवसेना हमेशा रहेगी।
पिछले 50 सालों में कई लोगों ने शिवसेना को खत्म करने की बात की, लेकिन वे खुद इतिहास में दफन हो गए।” राउत ने गिरीश महाजन पर व्यक्तिगत हमला बोलते हुए कहा कि वे फडणवीस के इर्द-गिर्द नाचने वाले ‘नचनिया’ हैं और उनके पास कोई ठोस उपलब्धि नहीं है।
राउत ने आगे लिखा, “महाजन जामनेर से विधायक हैं, लेकिन वहां का इलाका आज भी बंजर है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिलतीं। 2024 के चुनाव में महाजन ने वोट खरीदकर और मतदाता सूची में हेराफेरी करके बमुश्किल जीत हासिल की। वे वित्तीय घोटाले, जमीन हड़पने और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।”
संजय राउत ने गृहमंत्री और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, “महाजन ने उत्तरी महाराष्ट्र में गुंडों और भ्रष्टाचारियों का जाल बिछा रखा है। जलगांव, रावेर और धुले में हर बड़े अपराध में उनके गुंडे शामिल हैं।
फडणवीस को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वे खुद इन्हें अपने साथ लेकर घूम रहे हैं।” राउत ने यह भी दावा किया कि अगर बीजेपी सत्ता से बाहर होती है, तो गिरीश महाजन सबसे पहले पार्टी छोड़कर भागने वालों में होंगे।
राउत ने अपने संपादकीय में शिवसेना की ताकत पर जोर देते हुए कहा, “शिवसेना की नींव बालासाहेब ठाकरे के पवित्र विचारों और मराठी स्वाभिमान से पड़ी है। हिंदुत्व की ज्वाला से इसका तेज बढ़ा है। कुछ बिकाऊ लोग महाजन जैसे लोगों के साथ ठुमके लगा लें, लेकिन शिवसेना को जमींदोज करना नामुमकिन है। महाराष्ट्र अमित शाह की नीच राजनीति के आगे नहीं झुकेगा।”
यह पहली बार नहीं है जब संजय राउत अपने बयानों से विवादों में आए हैं। इससे पहले अप्रैल 2025 में राउत ने फडणवीस सरकार के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले का विरोध किया था और इसे मराठी भाषा पर हमला बताया था। मई 2025 में उनकी किताब ‘नरकतला स्वर्ग’ में पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर ‘कृतघ्नता’ का आरोप लगाने के बाद भी सियासी बवाल मच गया था।
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना (UBT) के बीच तनातनी नई नहीं है। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों में ठन गई थी, जिसके बाद शिवसेना ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया था। हाल के महीनों में संजय राउत लगातार बीजेपी और फडणवीस सरकार पर हमलावर रहे हैं। इस ताजा विवाद ने एक बार फिर महाराष्ट्र की सियासत में आग लगा दी है।