बिहार की राजनीति में सारण जिले (Saran Politics) का अहम योगदान रहा है। इस जिले ने राज्य को पांच मुख्यमंत्री दिए, जो अलग-अलग दौर में बिहार की सत्ता के केंद्र में रहे। यहां की सियासी जमीन कई दिग्गज नेताओं का अखाड़ा रही है।
महामाया प्रसाद सिन्हा: सारण से पहले मुख्यमंत्री
सारण जिले से सबसे पहले मुख्यमंत्री बनने का गौरव महामाया प्रसाद सिन्हा को मिला। वे 1967 में बिहार के पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने और 1968 तक सत्ता में रहे। समाजवादी राजनीति के दिग्गज महामाया बाबू की पहचान सारण की राजनीति में मजबूत नेता के रूप में थी।
दारोगा प्रसाद राय और अब्दुल गफूर भी बने मुख्यमंत्री
महामाया प्रसाद सिन्हा के बाद, परसा विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे दारोगा प्रसाद राय को 1970 में मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। हालांकि, वे फरवरी 1970 से दिसंबर 1970 तक ही मुख्यमंत्री रहे। इसके बाद 1973 में अब्दुल गफूर ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली और 1975 तक इस पद पर रहे।
रामसुंदर दास: आरक्षित सीट से लेकर मुख्यमंत्री पद तक का सफर
रामसुंदर दास, जो कई बार आरक्षित विधानसभा सीटों से चुनाव जीतते रहे, ने 1977 में पहली बार सोनपुर (सामान्य सीट) से जीत दर्ज की। उसी चुनाव में जनता पार्टी की सरकार बनी और कर्पूरी ठाकुर मुख्यमंत्री बने। लेकिन 1979 में कर्पूरी ठाकुर को पद छोड़ना पड़ा और रामसुंदर दास बिहार के मुख्यमंत्री बने। वे अप्रैल 1979 से फरवरी 1980 तक इस पद पर रहे।
लालू प्रसाद: सारण से मुख्यमंत्री बनने वाले पांचवें नेता
1990 में लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री बने। तब वे छपरा के सांसद थे और मुख्यमंत्री पद के लिए तीन उम्मीदवारों की होड़ में शामिल थे। लेकिन जब बहुमत साबित करने की बारी आई, तो रामसुंदर दास ने उनका समर्थन कर दिया। लालू प्रसाद ने 1990 से 1995 और 1995 से 1997 तक मुख्यमंत्री पद संभाला।
मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दिया और राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। इससे पहले वे 1980 और 1985 में सोनपुर से विधायक रह चुके थे।
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राबड़ी देवी: बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री
1997 में, जब चारा घोटाले में फंसने के कारण लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा, तो उनकी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वे बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं और तीन कार्यकाल तक सत्ता में रहीं:
- 1997 से 1999
- 1999 से 2000
- 2000 से 2005
हालांकि, वे सारण से विधायक नहीं थीं, लेकिन लालू प्रसाद के संसदीय क्षेत्र होने के कारण यहां की राजनीति में उनकी मजबूत पकड़ रही। 2010 में उन्होंने सोनपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन बीजेपी के विनय कुमार सिंह से हार गईं।
सारण जिला बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। यहां से महामाया प्रसाद सिन्हा, दारोगा प्रसाद राय, अब्दुल गफूर, रामसुंदर दास और लालू प्रसाद मुख्यमंत्री बने। राबड़ी देवी ने भी मुख्यमंत्री पद संभालकर इस जिले की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया। सारण की जनता ने बार-बार ऐसे नेताओं को चुना, जिन्होंने बिहार की राजनीति को नई दिशा दी।





















