Satyapal Malik death: दिल्ली के राममनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में लंबे समय तक इलाज चलने के बाद पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे और हाल के वर्षों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की जानकारी उनके आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट से दी गई, जहां पिछले महीने ही उनके सहायक ने बताया था कि उनकी हालत गंभीर है।
समाजवादी विचारधारा से गवर्नर तक
सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की थी। 1974 में वह बागपत से विधानसभा चुनाव जीते और चौधरी चरण सिंह के करीबी माने जाते थे। बाद में उन्होंने केंद्र सरकार में मंत्री पद भी संभाला, लेकिन उनकी असली पहचान जम्मू-कश्मीर, गोवा, मेघालय, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में गवर्नर के रूप में बनी।
जम्मू-कश्मीर में अहम भूमिका, आर्टिकल 370 हटाने के दौरान गवर्नर
सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर का गवर्नर रहते हुए सबसे ज्यादा चर्चा मिली, क्योंकि उनके कार्यकाल में ही केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 हटाकर राज्य का विभाजन किया और लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया। हालांकि, बाद में उन्होंने इस फैसले पर सवाल उठाए और सरकार के खिलाफ मुखर हो गए।
किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका और सरकार के खिलाफ आवाज
सत्यपाल मलिक ने 2020-21 के किसान आंदोलन में सरकार के खिलाफ मजबूती से खड़े होकर विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कई राज्यों में किसानों के समर्थन में रैलियां भी कीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे हमला बोला। यही वजह थी कि उन्हें भाजपा से दूरी बनाने वाले नेताओं में गिना जाने लगा।
CBI चार्जशीट और भ्रष्टाचार के आरोप
हाल के वर्षों में सत्यपाल मलिक एक बार फिर सुर्खियों में आए जब जम्मू-कश्मीर में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। इसी मामले में CBI ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिस पर उन्होंने अस्पताल से ही प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि जिसने भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया, उसी के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।