नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को उत्तर प्रदेश में एक नई सेमीकंडक्टर यूनिट की स्थापना को मंजूरी दे दी, जो भारत में इस तरह की छठी सुविधा होगी। यह यूनिट भारत सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत स्थापित की जाएगी और इसका उद्देश्य मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी और अन्य डिस्प्ले वाले उपकरणों के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण करना है।
इस परियोजना को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि यह कदम देश के युवाओं के लिए नए अवसर खोलेगा और पीएम नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को मजबूत करेगा।
HCL और Foxconn की साझेदारी
यह सेमीकंडक्टर यूनिट HCL और ताइवान की कंपनी Foxconn के संयुक्त उद्यम के तहत स्थापित की जा रही है। सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना में करीब 3,706 करोड़ रुपये का निवेश होगा। यह यूनिट यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) द्वारा आवंटित जमीन पर नोएडा के पास जेवर हवाई अड्डे के निकट सेक्टर 10 और 28 में बनाई जाएगी।
YEIDA इस परियोजना के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 8 MLD जल उपचार संयंत्र और 60 MLD सीवेज उपचार संयंत्र स्थापित करेगा। इस सेमीकंडक्टर पार्क में दो प्रमुख क्लस्टर होंगे – सेक्टर 10 में 200 एकड़ और सेक्टर 28 में 125 एकड़ का क्षेत्र। यह परियोजना न केवल तकनीकी उन्नति को बढ़ावा देगी, बल्कि उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी। इस सुविधा से क्षेत्र में लगभग 20,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।
भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग का महत्व व भविष्य
दुनिया में सेमीकंडक्टर की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर लैपटॉप, मोबाइल फोन, सर्वर, मेडिकल डिवाइस, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा उपकरण और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में। यह नई यूनिट भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में एक मजबूत स्थान दिलाने में मदद करेगी। भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत सरकार परियोजना लागत का 50% तक वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जिससे घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिल रहा है।
वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर बाजार 2025 में 340 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, और भारत इस क्षेत्र में अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। हाल के वैश्विक चिप संकट ने स्वदेशी उत्पादन की आवश्यकता को और रेखांकित किया है।
Foxconn, जो पहले से ही भारत में 10 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार कर रहा है, इस परियोजना के साथ अपनी उपस्थिति को और मजबूत करेगा।यह कदम भारत को सेमीकंडक्टर उत्पादन में एक वैश्विक खिलाड़ी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में मदद करेगा।
इस यूनिट के साथ, भारत न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ा रहा है, बल्कि देश को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के एक प्रतिस्पर्धी केंद्र के रूप में स्थापित कर रहा है।