बिहार में शराबबंदी लागू है। वहीं अब शराब से जुड़े लंबित मामले को जल्द निबटाने के लिए मद्य निषेध विभाग कमर कस कर तैयार है। राज्य में शराब से जुड़े मामलों को लेकर पहले भी हाईकोर्ट बिहार सरकार को फटकार लगा चुका है। वहीं विपक्ष भी शराबबंदी को फ्लॉप कह चुका है। नई शराबबंदी कानून को लेकर अब मद्य निषेध विभाग जल्द मुकदमों को निबटने को तैयार है।
जिला स्तरीय होगा
मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि इस संबंध में लोक अदालत की शुरुआत विभाग द्वारा की जा रही है जो जिला स्तरीय होगा। उन्होंने आगे कहा कि 14 मई को पहला लोक अदालत लगाया जाएगा। उसके बाद किस तरह के परिणाम आते हैं इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा जिन मामलों में ट्रायल होना है वह जल्द से जल्द हो और मुकदमे का फैसला जल्द से जल्द किया जा सके इसके लिए यह शुरुआत की जा रही है।
शराबबंदी कानून के तहत
गौरतलब है कि नई शराबबंदी कानून के तहत अब शराब मामलों का ट्रायल एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट, डिप्टी कलेक्टर या इससे ऊपर के रैंक के अधिकारी कर सकेंगे। जुर्माना नहीं चुकाने पर एक माह का साधारण कारावास हो सकता है। हालांकि जमानत मिलना अभियुक्त का अधिकार नहीं होगा। पुलिस पदाधिकारी या उत्पाद पदाधिकारी के प्रतिवेदन के आधार पर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट लिखित में कारणों को देख जुर्माना भुगतान करने पर भी छोड़ने से इंकार कर सकते हैं। वह उसे किसी तरह की कस्टडी में भी भेज सकता है।
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