रांची: राजधानी रांची में पुलिस ने एक संगठित ऑनलाइन जिस्मफरोशी रैकेट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। आज सुबह हुई इस छापेमारी में कई महिलाओं और संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। यह घटना रांची पुलिस के हाल के प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें पिछले साल से अब तक 50 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
सूत्रों के अनुसार, यह रैकेट व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर काम कर रहा था, जहां दलाल ग्राहकों को लड़कियों की तस्वीरें भेजते थे। इसके बाद ऑनलाइन भुगतान के बाद ग्राहक अपनी पसंद की महिला को होटल ले जाते थे या फिर महिलाएं खुद होटल तक पहुंचती थीं। इस सेवा के लिए 5 से 8 हजार रुपये तक की वसूली की जा रही थी। यह नेटवर्क रांची के मेडिका हॉस्पिटल, गैलेक्सिया मॉल, स्टेशन रोड, कचहरी चौक, राजभवन और लालपुर जैसे प्रमुख इलाकों में सक्रिय था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस धंधे में केवल गरीब महिलाएं ही नहीं, बल्कि कॉलेज की छात्राएं और हाई प्रोफाइल महिलाएं भी शामिल हैं। एक महिला ने खुलासा किया कि आर्थिक लाभ और कम समय में अधिक पैसा कमाने के लालच में ये महिलाएं इस रैकेट का हिस्सा बनीं। यह एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहा है, जिसमें एक-दूसरे के लिए ग्राहक भी जुटाए जाते हैं।
पिछले महीनों की छापेमारियों में सामने आया है कि इस रैकेट में बांग्लादेश, नेपाल, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और छत्तीसगढ़ से आई महिलाएं भी शामिल हैं। जुलाई 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल से आई महिलाओं की संख्या सबसे अधिक रही, जिससे मानव तस्करी के नेटवर्क की ओर संकेत मिलता है। हालांकि, इसकी पुष्टि के लिए गहन जांच की जरूरत है।
हालांकि रांची पुलिस ने पिछले एक साल में कई सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें 28 मई 2025 को आनंदमयी नगर और 2 अप्रैल 2024 को बरियातू जैसे इलाकों में छापेमारी शामिल है, लेकिन मुख्य सरगनाओं तक पहुंचना अभी भी चुनौती बनी हुई है। अधिकांश मामलों में केवल दलालों और पीड़ित महिलाओं की गिरफ्तारी तक ही कार्रवाई सीमित रही है।
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक हालिया मामले में एक महिला ने अपने पति की हत्या का कारण उसके द्वारा उसे जिस्मफरोशी के लिए मजबूर करने का दावा किया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मानव तस्करी के 6,616 मामले दर्ज हुए, जिसमें कई महिलाओं को जबरन इस धंधे में धकेला गया। हालांकि ऑनलाइन रैकेट्स से जुड़े सटीक आंकड़े अभी भी शोध के अभाव में स्पष्ट नहीं हैं।
पुलिस इस मामले की आगे की जांच कर रही है, और उम्मीद है कि इस रैकेट के पीछे के बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकेगा।