नई दिल्ली : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को उस वक्त करारा झटका लगा है, जब उनके पड़ोसी मध्य एशियाई देश भारत के साथ व्यापार, सुरक्षा और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। कुछ ही दिन पहले तक शहबाज शरीफ सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को लेकर भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शिकायत करते नजर आ रहे थे, लेकिन अब भारत ने अपनी कूटनीतिक ताकत का एक बार फिर प्रदर्शन किया है।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 6 जून 2025 को नई दिल्ली में इंडिया-सेंट्रल एशिया डायलॉग की चौथी बैठक की मेजबानी करने जा रहे हैं। इस बैठक में कजाकिस्तान, किर्गिज़ रिपब्लिक, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री शामिल हो रहे हैं। इससे पहले 5 जून को विदेश मंत्रालय (MEA) और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) ने संयुक्त रूप से इंडिया-सेंट्रल एशिया बिजनेस काउंसिल की बैठक का आयोजन किया, जिसमें कारोबारी साझेदारी, निवेश और तकनीकी हस्तांतरण जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
6 जून को होने वाली इस डायलॉग मीटिंग में व्यापार और संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और वैश्विक चुनौतियों पर भी विचार-विमर्श होगा। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह बैठक और भी महत्वपूर्ण हो गई है। भारत और मध्य एशियाई देश प्राचीन काल से सांस्कृतिक और व्यापारिक साझेदार रहे हैं, और इस संवाद मंच के जरिए दोनों पक्ष अपनी दोस्ती और सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाना चाहते हैं।
दिल्ली में हो रही इस बैठक को कूटनीतिक हलकों में भारत की बढ़ती क्षेत्रीय ताकत के तौर पर देखा जा रहा है। यह बैठक न सिर्फ भारत के पड़ोस में, बल्कि ‘एक्सटेंडेड नेबरहुड’ यानी विस्तारित पड़ोस में भी उसकी मजबूत पकड़ को दर्शाती है। पाकिस्तान, जो अक्सर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश करता रहा है, अब यह देखने को मजबूर है कि मध्य एशियाई देश भारत के साथ खड़े हैं।
गौरतलब है कि भारत ने अप्रैल 2025 में पहलगाम हमले के बाद सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। भारत ने साफ कहा है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह खत्म नहीं करता, तब तक न तो बातचीत होगी और न ही समझौता लागू होगा। इस बीच, शहबाज शरीफ ने 3 जून को मॉस्को में रूस से समर्थन मांगने की कोशिश की, लेकिन दिल्ली में हो रही यह बैठक भारत की कूटनीतिक जीत का प्रतीक बन गई है।
इंडिया-सेंट्रल एशिया डायलॉग की शुरुआत जनवरी 2019 में समरकंद में हुई थी और तब से यह मंच दोनों पक्षों के बीच सहयोग का एक अहम जरिया बन गया है। तीसरी बैठक दिसंबर 2021 में भी दिल्ली में हुई थी, जिसमें कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय सुरक्षा पर जोर दिया गया था। अब इस चौथी बैठक के जरिए भारत मध्य एशिया के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है।
यह बैठक न सिर्फ भारत की कूटनीतिक सफलता को दर्शाती है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए एक नया रास्ता भी खोलती है। वहीं, पाकिस्तान जैसे देशों के लिए यह एक साफ संदेश है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी ताकत और प्रभाव को लगातार बढ़ा रहा है।