शाहजहांपुर: भारतीय वायु सेना (IAF) ने आज उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में गंगा एक्सप्रेसवे के 3.5 किलोमीटर लंबे हिस्से पर एक महत्वपूर्ण “लैंड एंड गो” अभ्यास शुरू किया। यह अभ्यास युद्ध या राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान वैकल्पिक रनवे के रूप में एक्सप्रेसवे की क्षमता का आकलन करने के लिए आयोजित किया गया। इस अभ्यास को देश की रक्षा तैयारियों में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
गंगा एक्सप्रेसवे पर एक लड़ाकू विमान को टेक-ऑफ करते देखा जा सकता है। यह खास हिस्सा दिन और रात दोनों समय लड़ाकू विमानों की लैंडिंग और टेक-ऑफ के लिए उपयुक्त बनाया गया है, जो इसे भारत का पहला ऐसा एक्सप्रेसवे बनाता है। इस अभ्यास में विभिन्न IAF विमानों ने भाग लिया, जिसमें लो फ्लाई-पास्ट, लैंडिंग और टेक-ऑफ का परीक्षण शामिल था। इसका उद्देश्य परिचालन लचीलापन बढ़ाना और चौबीसों घंटे तैयारियों को सुनिश्चित करना है।
गंगा एक्सप्रेसवे, जो मेरठ से प्रयागराज तक फैला हुआ है, उत्तर प्रदेश में एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसकी कुल लंबाई 594 किलोमीटर है और यह 12 शहरों- मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज से होकर गुजरता है। इस परियोजना को 12 पैकेजों में विभाजित किया गया है, जिसमें से पैकेज 1 से 3 को IRB इन्फ्रास्ट्रक्चर और पैकेज 4 से 12 को अदानी एंटरप्राइजेज द्वारा बनाया और रखरखाव किया जा रहा है। यह एक्सप्रेसवे 2024 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है।
यह अभ्यास इस तरह का पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले, मार्च 2024 में, भारतीय वायु सेना ने आंध्र प्रदेश के बापटला जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पर एक आपातकालीन लैंडिंग रनवे (ELR) का सफल परीक्षण किया था। उस अभ्यास में सुखोई एसयू-30 लड़ाकू विमानों और परिवहन विमानों ने भाग लिया था, जिसमें रनवे की गुणवत्ता और स्थिति का आकलन किया गया था।
गंगा एक्सप्रेसवे पर इस अभ्यास के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। पूरे क्षेत्र में 250 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, और शीर्ष रक्षा और राज्य अधिकारियों ने इसकी निगरानी की। यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश का चौथा ऐसा एक्सप्रेसवे बन गया है जो आपातकालीन हवाई पट्टी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन रात में लैंडिंग की सुविधा वाला यह पहला एक्सप्रेसवे है।
यह कदम न केवल सैन्य तैयारियों को मजबूत करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे नागरिक बुनियादी ढांचे का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दोहरे उद्देश्य से किया जा सकता है। इस अभ्यास को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। कुछ यूजर्स ने इसे रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि बताया, जबकि कुछ ने इसे “नेट प्रैक्टिस” करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी क्षमताओं के प्रदर्शन की जरूरत पर जोर दिया।
इस अभ्यास के साथ, भारत ने अपनी रक्षा रणनीति में एक नया आयाम जोड़ा है, जो भविष्य में आपातकालीन परिस्थितियों में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।