बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में टिकट बंटवारे के बीच सियासी हलचल तेज़ हो गई है। महागठबंधन के अंदर नाराज़ नेताओं की लिस्ट लगातार बढ़ती जा रही है, और अब इसमें दिवंगत समाजवादी नेता शरद यादव के बेटे शांतनु यादव और बेटी सुभाषिनी यादव (Sharad Yadav Family) का नाम भी जुड़ गया है। दोनों ही नेताओं ने टिकट नहीं मिलने पर खुलकर नाराज़गी जताई है।
शांतनु यादव, जो लंबे समय से आरजेडी से मधेपुरा सीट पर उम्मीदवारी की तैयारी कर रहे थे, अब खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, “मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ है। यह सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि समाजवाद की हार है।” शांतनु का कहना है कि उनके पिता शरद यादव की विचारधारा और जनता के बीच उनकी पकड़ को नज़रअंदाज़ किया गया है।
वहीं, शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव, जो कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं, ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर अपनी नाराज़गी का खुला इज़हार किया। उन्होंने लिखा, “जो अपने खून के नहीं हुए, वो दूसरों के क्या होंगे? यह विश्वासघात की पराकाष्ठा है। जो षड्यंत्र उन्होंने रचा है, अब वही जनता उनके खिलाफ रचेगी।” यह ट्वीट साफ संकेत देता है कि सुभाषिनी की नाराज़गी सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक स्तर पर भी गहरी चोट का परिणाम है।

सूत्रों के मुताबिक, शरद यादव के बेटे शांतनु को पहले आरजेडी की ओर से टिकट का भरोसा दिया गया था, लेकिन अंतिम सूची में उनका नाम नहीं आया। इस फैसले ने न केवल यादव परिवार को निराश किया है, बल्कि महागठबंधन के अंदर असंतोष का नया अध्याय भी खोल दिया है।
शरद यादव के निधन (12 जनवरी 2023) के बाद शांतनु यादव लगातार अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे। 2024 लोकसभा चुनाव में भी वे मैदान में उतरना चाहते थे, लेकिन तब भी आरजेडी ने उन्हें मौका नहीं दिया। तब पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट का भरोसा दिया था — जो अब पूरा नहीं हुआ।






















