नई दिल्ली : प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा, जिन्हें स्नेह से ‘बिहार कोकिला’ के रूप में जाना जाता है, को उनके असाधारण योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है। 2025 के पद्म पुरस्कार समारोह में यह सम्मान प्रदान किया गया, जो भारतीय लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने में उनके योगदान को रेखांकित करता है।
शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में अपने मधुर गीतों के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित किया। उनके प्रसिद्ध गीत जैसे “केलवा के पात पर उगलन सूरज मल झके झुके” और “हे छठी मइया” न केवल बिहार बल्कि पूरे भारत में लोकप्रिय हुए, जो छठ महापर्व और अन्य सांस्कृतिक उत्सवों का अभिन्न हिस्सा बने।
पद्म पुरस्कार, जो भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक हैं, विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान को मान्यता देते हैं। शारदा सिन्हा का यह सम्मान, जो नवंबर 2024 में उनका निधन होने के कुछ महीनों बाद प्रदान किया गया, उनके संगीत के माध्यम से सांस्कृतिक पहचान और गौरव को बनाए रखने के प्रयासों को रेखांकित करता है।
समारोह दूरदर्शन नेशनल द्वारा प्रसारित किया गया, जिसने इस अवसर को और भी विशेष बना दिया। वीडियो में पुरस्कार के औपचारिक प्रस्तुति को कैद किया गया है, जो न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि बल्कि सामूहिक सांस्कृतिक गौरव को दर्शाता है।
शारदा सिन्हा की विरासत भारतीय लोक संगीत और सांस्कृतिक पहचान के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनी हुई है, और उनका पद्म विभूषण सम्मान इस बात का प्रमाण है कि कैसे एकल कलाकार राष्ट्रीय स्तर पर सांस्कृतिक प्रभाव डाल सकता है।