नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे पर कड़ा पलटवार किया है। थरूर ने स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी किसी तीसरे पक्ष से मध्यस्थता की मांग नहीं की है।
थरूर ने कहा, “हमें अमेरिकी राष्ट्रपति और उनकी संस्था का पूरा सम्मान है, लेकिन हमने कभी किसी से मध्यस्थता की मांग नहीं की।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का हमेशा से रुख रहा है कि भारत-पाकिस्तान के मुद्दे आपसी बातचीत से ही सुलझने चाहिए।
यह बयान भारत की उस नीति के अनुरूप है, जिसके तहत कश्मीर विवाद में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को हमेशा से ही अस्वीकार किया गया है। भारत का मानना है कि द्विपक्षीय मुद्दों को द्विपक्षीय स्तर पर ही हल किया जाना चाहिए।
थरूर के बयान का यह भी ऐतिहासिक संदर्भ है, जहां भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। 1971 का युद्ध, जिसमें भारत ने पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) को आजादी दिलाने में मदद की, और जल संसाधनों व क्षेत्रीय दावों पर जारी विवाद इस तनाव का हिस्सा रहे हैं।
थरूर की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव जारी है, और दोनों देशों के बीच बातचीत की प्रक्रिया अक्सर बाधित रही है। हालांकि, थरूर ने जोर देकर कहा कि भारत किसी भी तरह की बाहरी मध्यस्थता को खारिज करता है और मुद्दों को सुलझाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता पर जोर देता है।
यह घटनाक्रम भारत की विदेश नीति और क्षेत्रीय मुद्दों पर उसकी स्वतंत्रता को रेखांकित करता है, जो लंबे समय से एक प्रमुख मुद्दा रहा है।