Sikandra Vidhan Sabha 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है और अब हर विधानसभा क्षेत्र में सियासी सरगर्मी तेज़ है। इन्हीं में से एक है जमुई जिले की सिकंदरा विधानसभा सीट, जो न सिर्फ़ राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण भी चर्चाओं में रहती है। यह वही क्षेत्र है जहां जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। सिकंदरा सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और यह जमुई लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
चुनावी इतिहास
1962 में गठित इस सीट पर सियासी समीकरण हमेशा बदलते रहे हैं। कांग्रेस ने यहां सबसे अधिक पांच बार जीत दर्ज की है, जबकि भाकपा (CPI) और जनता दल (यू) दो-दो बार सत्ता में आए हैं। इसके अलावा एसएसपी, जनता पार्टी, कोशल पार्टी, लोजपा, हम (HAM) और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां से जीत का स्वाद चखा है। यह विविध परिणाम बताते हैं कि सिकंदरा की जनता पार्टी से ज़्यादा उम्मीदवार और उनके काम को तवज्जो देती है।
सिकंदरा की राजनीति में 2005 से रामेश्वरम पासवान एक चर्चित नाम बनकर उभरे। उन्होंने फरवरी और अक्तूबर, दोनों चुनावों में जीत हासिल कर इतिहास रच दिया। पहले चुनाव में वे लोजपा के टिकट पर लड़े और राजद के प्रयाग चौधरी को 31,189 वोटों से हराया। वहीं, अक्टूबर 2005 में उन्होंने जदयू का दामन थाम लिया और फिर से प्रयाग चौधरी को 15,365 वोट से मात दी।
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2010 के चुनाव में भी जदयू के उम्मीदवार के रूप में उन्होंने जीत दर्ज की और लोजपा के सुभाष चंद्र बोस को 12,361 वोट से हराया। यही दौर नीतीश कुमार सरकार में उन्हें अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण मंत्री की जिम्मेदारी भी दिला गया। 2015 के विधानसभा चुनाव में सिकंदरा में राजनीतिक बिसात बदली। कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर कुमार उर्फ बंटी चौधरी ने लोजपा के सुभाष बोस को 7,990 वोटों से शिकस्त दी। बंटी चौधरी को कुल 59,092 वोट मिले, जबकि बोस को 51,102 वोटों पर संतोष करना पड़ा।
2020 का चुनाव सिकंदरा में फिर से परिवर्तन लेकर आया। इस बार जीत मिली हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) के उम्मीदवार प्रफुल्ल कुमार मांझी को। उन्होंने कांग्रेस के बंटी चौधरी को 5,505 वोट से हराकर सीट पर कब्ज़ा जमाया। मांझी को कुल 47,061 वोट मिले जबकि बंटी चौधरी को 41,556 वोट हासिल हुए
जातिगत समीकरण और सियासी असर
सिकंदरा की राजनीति जातिगत संतुलन पर टिकी हुई है। पासवान, यादव, मुस्लिम और राजपूत वोटर यहां की चुनावी दिशा तय करते हैं। कुल मतदाताओं में अनुसूचित जाति के मतदाता 18.93%, जबकि मुस्लिम मतदाता 12.8% हैं। यह सीट पूरी तरह ग्रामीण है, इसलिए विकास, सड़क, सिंचाई और रोजगार जैसे मुद्दे यहां की प्राथमिकता में हैं।