लाचेन, सिक्किम : सिक्किम के मंगन जिले के लाचेन नगर में रविवार शाम भारी बारिश के चलते एक भयावह भूस्खलन ने भारतीय सेना के एक कैंप को अपनी चपेट में ले लिया। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में तीन जवानों की मौत हो गई, जबकि छह अन्य सैनिक अभी भी लापता हैं। भारतीय सेना ने तत्काल प्रभाव से बचाव अभियान शुरू कर दिया है, जो सोमवार शाम तक जारी है।
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह हादसा रविवार शाम करीब 7 बजे हुआ। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने सेना के कैंप को तबाह कर दिया। अब तक तीन सैनिकों – हवलदार लखविंदर सिंह, लांस नायक मनीष ठाकुर और पोर्टर अभिषेक लखाड़ा – के शव बरामद किए जा चुके हैं। चार अन्य लोगों को मामूली चोटों के साथ सुरक्षित निकाला गया है। हालांकि, छह सैनिकों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है।
चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में बचाव कार्य बचाव दल को बेहद कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। इलाके की दुर्गम भौगोलिक स्थिति और लगातार हो रही बारिश ने रेस्क्यू ऑपरेशन को जटिल बना दिया है। भारतीय सेना ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “हम अपने लापता सैनिकों को खोजने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस दुखद घटना में जान गंवाने वाले सैनिकों के परिवारों के प्रति हम गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं और उन्हें हर तरह की सहायता प्रदान की जा रही है।”
क्षेत्र में भारी बारिश का कहर सिक्किम में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने कई इलाकों में तबाही मचाई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मंगन जिले के लिए 1 जून को रेड अलर्ट जारी किया था। इस दौरान लाचेन और लाचुंग क्षेत्रों में 1,000 से अधिक पर्यटक फंसे हुए हैं। नदी तीस्ता का जलस्तर बढ़ने और कई जगहों पर पुलों के ढहने से राहत कार्यों में और बाधा आ रही है।
विशेषज्ञों की चेतावनी सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं आम हैं, खासकर मानसून के दौरान। जर्नल ऑफ अर्थ सिस्टम साइंस (2023) के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में भारी बारिश की घटनाओं में 15% की वृद्धि हुई है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियोजित निर्माण कार्य इस तरह की आपदाओं को और बढ़ावा दे रहे हैं।
सेना की प्रतिबद्धता भारतीय सेना ने अपने बयान में कहा, “प्रकृति की इस विपदा के बावजूद, भारतीय सेना अपने कर्तव्य और अपने सैनिकों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह समर्पित है। हम इस संकट की घड़ी में अडिग भावना और लचीलेपन के साथ काम कर रहे हैं।” सेना ने स्थानीय प्रशासन और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर राहत कार्यों को तेज कर दिया है।
इस घटना ने एक बार फिर सिक्किम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने की जरूरत पर ध्यान आकर्षित किया है। स्थानीय प्रशासन और सेना की टीमें प्रभावित इलाकों में स्थिति को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रही हैं।