SIR Protest in Delhi: दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में SIR के खिलाफ कांग्रेस की रैली ने देश की राजनीति को एक नई दिशा देने का संकेत दिया। यह सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और मतदाता अधिकारों को लेकर विपक्ष की साझा चिंता का सार्वजनिक इज़हार भी था। मंच से उठी आवाज़ों ने भाजपा, चुनाव आयोग और सरकार की नीतियों पर सीधा हमला बोला, वहीं जनता को “अंतिम अदालत” बताते हुए निर्णायक संघर्ष का आह्वान किया गया।
पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने अपने संबोधन में कांग्रेस के ऐतिहासिक संघर्ष को याद दिलाते हुए कहा कि यह वही पार्टी है जिसने अंग्रेज़ों के दौर में भी लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा और राहुल गांधी की पदयात्राओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि “वोट चोर, गद्दी छोड़” जैसे नारे सिर्फ राजनीतिक नारे नहीं, बल्कि जनता के भीतर पैदा हो रही बेचैनी की अभिव्यक्ति हैं। पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि पहले नौकरियां छीनी गईं, फिर आरक्षण को कमजोर किया गया और अब दलित, आदिवासी, पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला हो रहा है। उनके अनुसार SIR इसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा है, जिसका मकसद संविधान को धीरे-धीरे निष्प्रभावी करना है।
SIR के खिलाफ कांग्रेस की रैली पर क्या बोले शाहनवाज़ हुसैन- हार की हताशा..
बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने इस मुद्दे को और धार देते हुए कहा कि बिहार को एक प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और चुनाव आयोग ने मिलकर SIR के ज़रिये मतदाता सूची से छेड़छाड़ की और “वोट चोरी” की पटकथा यहीं लिखी गई। राजेश राम के मुताबिक बिहार में चली वोटर अधिकार यात्रा इस बात का प्रमाण है कि जनता इस साज़िश को समझ चुकी है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अभी विरोध नहीं हुआ तो यही मॉडल पूरे देश में लागू किया जाएगा। दिल्ली की रैली को उन्होंने राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में एक “निर्णायक लड़ाई” की शुरुआत बताया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तारिक अनवर ने लोकतंत्र की मूल भावना पर बात करते हुए कहा कि संसद में दिए गए भाषण सिर्फ औपचारिक जवाब होते हैं, लेकिन असली फैसला जनता की अदालत में होता है। उनके अनुसार आज कांग्रेस सीधे जनता के दरबार में पहुंची है, क्योंकि लोकतंत्र में जनता से बड़ी कोई अदालत नहीं होती। यह बयान इस बात का संकेत था कि कांग्रेस अब संस्थागत बहस से आगे बढ़कर सीधे जनमत को अपना हथियार बनाना चाहती है।
झारखंड सरकार में मंत्री इरफान अंसारी ने युवाओं की मौजूदगी को रैली की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि देश को इस समय नौकरी, इंडस्ट्री और विकास की ज़रूरत है, लेकिन असल मुद्दों को धर्म और भावनात्मक बहसों के पीछे छिपाया जा रहा है। उनका आरोप था कि भाजपा जनता का ध्यान भटकाने की राजनीति कर रही है, जबकि युवाओं के सामने बेरोज़गारी और भविष्य की अनिश्चितता सबसे बड़ा सवाल है। उन्होंने यह भी कहा कि जब जनता जनादेश दे चुकी है, तो फिर उसे भ्रम में डालने की कोशिश क्यों की जा रही है।






















