कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र की नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर करारा हमला बोलते हुए इसे भारतीय शिक्षा व्यवस्था के लिए ‘तीन बड़े खतरों’ से ग्रस्त बताया। उन्होंने ‘3C’ (केंद्रीकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण) का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार की शिक्षा नीति का असल मकसद सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा का निजीकरण और पाठ्यक्रमों का सांप्रदायिकरण करना है।
केंद्र सरकार के एजेंडे पर उठाए सवाल
एक लेख में सोनिया गांधी ने दावा किया कि एनईपी 2020 लागू होने के बावजूद केंद्र सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए गंभीर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार सिर्फ तीन एजेंडों पर काम कर रही है – शिक्षा का केंद्रीकरण, शिक्षा का व्यावसायीकरण और पाठ्यक्रमों का सांप्रदायिकरण।
उन्होंने कहा कि सरकार के इन फैसलों का सीधा असर छात्रों और युवाओं पर पड़ रहा है। कांग्रेस नेता ने इसे भारतीय शिक्षा के लिए गंभीर संकट बताते हुए इसे तत्काल सुधारने की मांग की।
1. केंद्रीकरण : राज्यों की अनदेखी, सलाहकार बोर्ड निष्क्रिय
सोनिया गांधी ने कहा कि सरकार की नीति पूरी तरह से केंद्रीकरण पर आधारित है, जिसमें राज्य सरकारों और शिक्षाविदों की राय को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) की बैठक 2019 के बाद से नहीं बुलाई गई, जो इस बात का संकेत है कि राज्यों की भागीदारी को खत्म किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एनईपी 2020 को लागू करने से पहले राज्यों से कोई परामर्श नहीं लिया गया, जिससे यह साफ हो जाता है कि सरकार केवल अपनी मर्जी से शिक्षा नीतियां बना रही है।
2. शिक्षा का व्यावसायीकरण : गरीब छात्रों को निजी स्कूलों में धकेलने की साजिश?
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि सरकार ‘ब्लॉक-अनुदान’ की जगह ‘उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA)’ को लागू कर रही है, जिससे शिक्षा पूरी तरह निजी निवेश के भरोसे हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों और विश्वविद्यालयों की फंडिंग लगातार घटा रही है, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय छात्र महंगे निजी स्कूलों और कॉलेजों की ओर जाने को मजबूर हो रहे हैं।
3. पाठ्यक्रमों का सांप्रदायिकरण : इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप
सोनिया गांधी ने केंद्र पर शिक्षा में सांप्रदायिकता घोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की हत्या से जुड़े तथ्यों, मुगल भारत के इतिहास और भारतीय संविधान की प्रस्तावना को पाठ्यक्रम से हटाने का प्रयास किया गया। हालांकि, भारी विरोध के बाद इसे दोबारा शामिल किया गया।
IITs-IIMs में विचारधारा का वर्चस्व?
सोनिया गांधी ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि IIT और IIM जैसे प्रमुख संस्थानों में सरकार के अनुकूल विचारधारा वाले लोगों को नेतृत्व पदों पर बैठाया जा रहा है, चाहे उनकी शैक्षणिक योग्यता संदेहास्पद ही क्यों न हो।
उन्होंने कहा कि शिक्षा में बौद्धिक स्वतंत्रता और गुणवत्ता से समझौता किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है।
क्या भारतीय शिक्षा संकट में है?
सोनिया गांधी ने अंत में कहा कि अब समय आ गया है कि इस संकट को रोका जाए और शिक्षा प्रणाली को राजनीतिक नियंत्रण से मुक्त किया जाए। उन्होंने ‘3C संकट’ का समाधान निकालने की जरूरत पर जोर दिया और सरकार से शिक्षा नीति में पारदर्शिता, समानता और निष्पक्षता लाने की मांग की।