सियोल : दक्षिण कोरिया में सत्ता परिवर्तन के बाद ली जे-म्यांग ने राष्ट्रपति पद की बागडोर संभाल ली है। प्रगतिशील और जन-केंद्रित छवि वाले ली के सामने कई जटिल चुनौतियां हैं, जिनमें देश को राजनीतिक स्थिरता देना, आर्थिक असमानता को कम करना और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में संतुलन बनाना शामिल है।
पिछले साल 2024 में पूर्व राष्ट्रपति यून सुक येओल द्वारा मार्शल लॉ लागू करने की कोशिश और उसके बाद उनकी महाभियोग प्रक्रिया ने दक्षिण कोरिया की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी थी। इस घटना के बाद हुए त्वरित चुनाव में ली जे-म्यांग की जीत ने जनता के बीच स्थिरता और लोकतांत्रिक सुधारों की मांग को दर्शाया।
हालांकि, ली के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करना और तख्तापलट की आशंका को खत्म करना है। अपने एक भाषण में ली ने कहा, “हथियारों के दम पर तख्तापलट को रोकना मेरी प्राथमिकता होगी।”
दक्षिण कोरिया की अर्थव्यवस्था ने भले ही उल्लेखनीय प्रगति की हो, लेकिन बढ़ती आर्थिक असमानता और युवाओं में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गई है। सियोल जैसे शहरों में आवास संकट चरम पर है, जहां आम नागरिकों के लिए घर खरीदना लगभग असंभव हो गया है।
ली जे-म्यांग को ठोस आवास नीतियों और रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा ताकि मध्यम और निम्न वर्ग की स्थिति मजबूत हो सके। इसके अलावा, भ्रष्टाचार के खिलाफ पारदर्शी प्रशासन स्थापित करके जनता का विश्वास जीतना भी उनके लिए जरूरी होगा।
दक्षिण कोरिया के लिए अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाना हमेशा से एक चुनौती रहा है। अमेरिका जहां उसका पारंपरिक सैन्य सहयोगी है, वहीं चीन उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा दक्षिण कोरिया पर स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने से उसकी निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ गया है। ली जे-म्यांग ने अमेरिका और जापान के साथ त्रिपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने की बात कही है, लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि इससे चीन के साथ आर्थिक रिश्ते प्रभावित न हों।
उत्तर कोरिया के साथ दशकों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों को बेहतर करना भी ली की प्राथमिकता है। उत्तर कोरिया की मिसाइल परीक्षण गतिविधियां और परमाणु हथियारों की महत्वाकांक्षा इस चुनौती को और जटिल बनाती हैं। हालांकि, ली ने सत्ता संभालते ही उत्तर कोरिया के साथ बातचीत को फिर से शुरू करने के संकेत दिए हैं, जो उनके पूर्ववर्ती यून सुक येओल की सख्त नीति से अलग है। यह कदम क्षेत्रीय तनाव को कम करने में मददगार साबित हो सकता है।
दक्षिण कोरिया भी जलवायु परिवर्तन की समस्या से जूझ रहा है। ली जे-म्यांग को अक्षय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने और दीर्घकालिक पर्यावरण नीतियां लागू करने की जरूरत होगी। इसके साथ ही, उन्हें विपक्षी दलों के साथ संवाद बनाए रखकर देश को एकता की भावना से आगे ले जाना होगा।
ली जे-म्यांग की जीत को जनता ने एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा है। उनकी प्रगतिशील नीतियों और जनता से जुड़ाव की वजह से लोग उनसे काफी उम्मीदें रखते हैं। अब देखना यह है कि वे इन जटिल चुनौतियों से कैसे निपटते हैं और दक्षिण कोरिया को एक स्थिर और समृद्ध भविष्य की ओर कैसे ले जाते हैं।