बिहार में 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध है। लेकिन, इसके उपयोग पर रोक के लिए प्रशासन तत्पर नहीं है। ये बातें एमएलसी सर्वेश कुमार ने विधान परिषद में गुरुवार को कही। इसके जवाब में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि यह आंशिक रूप से स्वीकार्य है। विभाग ने यह भी स्वीकार किया है कि इससे पर्यावरण को हानि पहुंच रहा है। लोगों के जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है। बिहार में प्लास्टिक की डंडियों वाले इयर बड्स, प्लास्टिक की डंडियों वाले बैलून, प्लास्टिक के झंडे, थर्मोकॉल प्लेट, कप, ग्लास, चम्मच के साथ 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक और पीवीसी के बैनर पर बैन है।
मंत्री प्रेम कुमार ने चार पन्नों का उत्तर विधान परिषद में दिया। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव, बिहार सरकार की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय विशेष कार्यबल, जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यबल, अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता में अनुमंडल स्तरीय कार्यबल और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए लोक स्वास्थ, परिवार कल्याण और ग्रामीण स्वच्छता से संबंधित जिला परिषद, पंचायत समिति, ग्राम पंचायत स्तर की स्थाई समिति, प्लास्टिक नियमावली और प्रतिबंधित प्लास्टिक के संबंध में निर्गत विभिन्न आदेशों का अनुश्रवण करेगी।
सदन में मंत्री ने कहा कि चिन्हित एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रभावी रुप से प्रतिबंध लगाने के लिए ‘बिहार नगरपालिका प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन उप- विधि, 2018’ के तहत प्रत्येक स्थानीय नगर निकाय में सिटी स्क्वाड का गठन किया गया है। सिटी स्क्वाड का कार्य पॉलिथिन बैगों का उसकी मुटाई का विचार किए बिना जब्त करना और प्रावधानों के उल्लंघन करने वाले पर जुर्माना करना है।