बिहार में गर्भाशय घोटाले मामले में आज पटना होईकोर्ट में सुनवाई होगी। जिसमें कोर्ट सरकार से कंपनसेशन को लेकर सवाल करेगी। गर्भाशय घोटले में पीड़ितों को कंपनसेशन देना था साथ ही इस मामले में कोर्ट को डेटा भी सौंपना था जो कि नहीं हुआ है। जिसको लेकर आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
2012 में मामला आया था सामने
दरअसल, 2011 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना लागू किया था। इसके तहत बीपीएल श्रेणी में आने वाले परिवारों का 30 हजार रुपए तक का इलाज मुफ्त में करना था। इसके लिए बिहार के कई अस्पतालों का चयन किया गया था। जिसमें घोटाला किया गया। घोटाले का यह मामला 2012 में मानवाधिकार आयोग के सामने आया। जहां 2017 में वेटरन फोरम के द्वारा पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। जिसमें बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ लेने के लिए महिला के बिना अनुमति के गलत तरीके से बिहार के अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टर ने ऑपरेशन कर करीब 27 हजार महिलाओं का गर्भाशय निकाला लिया था
वहीं, इस मामले को याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि 27 हजार से अधिक महिलाओं का गर्भाशय महिला के बिना अनुमति के निकाल लिया गया था। ताकि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का गलत फायदा उठाकर पैसे की उगाही कर सकें। इसमें डॉक्टर और बीमा कंपनी की मिलीभगत की बात भी सामने आई थी। इसे लेकर अधिवक्ता दीनू कुमार ने इसमें शामिल डॉक्टरों और अस्पतालों का लाइसेंस रद्द करने की मांग हाईकोर्ट से की थी।