[Team Insider] सरकार गठन के साथ ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन प्रवासी मजदूरों(migrant workers) के प्रति बेहद ही संवेदनशील रहे हैं। कोरोना महामारी(corona pandemic) के दौरान प्रवासी मजदूरों की सकुशल घर वापसी के लिए राज्य सरकार ने अपने सभी संसाधनों को झोंक दिया। जिसका परिणाम रहा कि राज्य सरकार(State govt.) ने न सिर्फ देश के विभिन्न कोनों बल्कि विदेशों से भी मजदूरों की सकुशल घर वापसी करवाई।
बेहतर काम के झांसे में कर्नाटक गए थे श्रमिक, बंधक बनाए गए
सोमवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को गुमला के 5 मजदूरों के कर्नाटक के होज़पेट में फंसे होने की जानकारी मिली। साथ ही यह भी पता चला कि काम का झांसा देकर इन मजदूरों को कर्नाटक ले जाया गया और उन्हें वहां बंधक बना कर बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने दिया त्वरित कार्रवाई का निर्देश
जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने श्रम, नियोजन,प्रशिक्षण और कौशल विकास विभाग के मंत्री सत्यानंद भोक्ता को इन मजदूरों की सकुशल घर वापसी सुनिश्चित कराने को कहा। मंत्री के निर्देश पर माइग्रेंट कंट्रोल रूम ने स्थानीय प्रशासन से संपर्क स्थापित कर इन प्रवासी श्रामिकों की वापसी का कार्य शुरू किया।
सकुशल रांची पहुंचे सभी श्रामिक
वहीं शुक्रवार को इन सभी श्रामिकों को कर्नाटक से छुड़ा कर रांची लाया गया। रांची पहुंचने पर इन सभी श्रामिकों का कोरोना टेस्ट करवा कर गुमला जिला प्रशासन की मदद से उनके पैतृक गांव भेजा गया। छुड़ाए गए श्रामिकों में गुमला के कोयंजरा गांव के प्रकाश महतो, पालकोट निवासी संजू महतो, मुरकुंडा के सचिन गोप, राहुल गोप और मंगरा खड़िया शामिल हैं।
सरकार की मदद से आज वापस लौटे
वापस लौटे प्रकाश कहते हैं एक परिचित के झांसे में बेहतर काम की उम्मीद से कर्नाटक गए थे। लेकिन वहां 18-18 घंटे काम करवाया जाता था। डेढ़ महीने से वेतन भी नहीं मिला। खाना भी नहीं मिलता था। ऐसे में काम करने से मना करने पर पिटाई भी करते थे। सभी को सुरक्षित वापस लाने के लिए सरकार का बहुत बहुत धन्यवाद करते हैं।