शिक्षा विभाग का कमान संभालते ही के के पाठक लगातार ऐक्शन में दिख रहे है। शिक्षा विभाग में बदलाव को लेकर लगातार नए-नए निर्देश जारी करते है और उसे सख्ती से पालन करने के निर्देश भी देते है चाहे शिक्षकों को लेकर हो या फिर छात्र-छात्राओं को लेकर। लापरवाही करने वालों पर सख्ती से कार्रवाई भी की जाती है। पहले जहां लगातार शिक्षकों पर ऐक्शन लिए जाते थे अब छात्र-छात्राओं पर भी कार्रवाई की जा रही है।
पश्चिम चंपारण और अररिया में स्कूलों से काटे गए सबसे ज्यादा नाम
कुछ वक्त पहले ही के के पाठक ने उन छात्रों का नामांकन रद्द करने का फरमान जारी किया था, जो लम्बे समय से स्कूल नहीं आ रहे थे, के के पाठक ने कहा था लम्बे समय से स्कूल नहीं आने वाले छात्रों को 15 दिन का समय दिया जाए अगर 15 दिन में वह स्कूल आना शुरु नहीं करते है तो उनका नाम स्कूल से काट दिया जाए। जिसके बाद करीब एक लाख छात्रों का नाम सरकारी स्कूलों से काट दिया गया है। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा पश्चिम चंपारण और अररिया जिले में नाम काटे गए हैं। इन जिलों में करीब 10 -10 हज़ार बच्चों का नाम काटा गया है। वहीं पटना में 7 हज़ार छात्रों का नाम काटा गया है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सभी जिला के शिक्षा विभाग के पदाधिकारी के साथ बैठक की थी। जिसमें सभी पदाधिकारियों को राज्य के सभी सरकारी स्कूल में निरीक्षण करने का निर्देश दिया था, इस निरीक्षण में यह मालूम करना था कि ऐसे कितने बच्चे हैं जो सरकारी स्कूल में एडमिशन लेकर निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही सरकारी स्कूल में नामांकन कराकर नहीं आने वाले बच्चों को 15 दिन का समय देने को कहा गया था अगर 15 दिन में बच्चे स्कूल में नहीं आते है तो उनका नामांकन रद्द करने को कहा गया था, जिसके आधार पर एक लाख से ज्यादा बच्चों के नामांकन रद्द कर दिए गए है।