जाति आधारित गणना को लेकर पटना हाईकोर्ट के फैसले से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया है। जिसके बाद बिहार के विपक्षी दलों के तमाम नेता एक साथ नीतीश कुमार पर बयानी हमला कर रहे हैं। भाजपा नेताओं से लेकर रालोजद सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा तक सभी ने नीतीश कुमार को अपने निशाने पर लिया हुआ है।
“मेमोरी लॉस के शिकार हैं नीतीश”
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी हाईकोर्ट के फैसले को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार कोर्ट में ठोस जवाब ही नहीं दे पाई। अपने पक्ष को रखने के लिए सरकार को सभी सबूत कोर्ट के सामने रखना चाहिए था। नीतीश सरकार से कोई भी कम ठीक ढंग से नहीं हो पा रह है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मेमोरी लॉस के शिकार हो गए हैं। नीतीश कुमार सिर्फ नाटक करने वाले मुख्यमंत्री है। किसी भी स्तर पर वो सही से काम करने में सक्षम नहीं है। नीतीश सरकार अपने निर्णय को कोर्ट में सही साबित नहीं कर पाई, यह सरकार का सबसे बड़ा फेलियर है। नीतीश सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
“जातीय गणना का मकसद चुनाव में लाभ उठाना”
नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने जातीय गणना को खानापूर्ति बताया है। उन्होंने कहा कि जातीय गणना का मकसद चुनाव में लाभ उठाना था। लोगों का ध्यान अपराध और भष्टाचार से हटाने के लिए नीतीश कुमार जातीय गणना कर रहे थे। इसके माध्यम से उन्माद फैलाने की जो रणनीति थी उसे माननीय न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। जब-जब लोग अपनी नियत में खोट लाते है नीति को गलत बनाते हैं और जनता की परेशानी बढ़ती है तब माननीय न्यायालय बेपटरी गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए बाध्य करती है। विजय सिन्हा ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
“नीतीश की लापरवाही का नतीजा”
राष्ट्रीय लोक जनता दल के सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि पटना हाई कोर्ट द्वारा जातीय जनगणना पर लगी रोक का फैसला नीतीश कुमार की लापरवाही का नतीजा है। राज्य सरकार द्वारा बिना तैयारी मुकदमा लड़ने के कारण ऐसा फैसला आया है। कोर्ट में ऐसे मौक़े पहले भी आएं हैं, जब राज्य सरकार के सुस्त रवैए के कारण नरसंहारों के मुजरिम भी बरी होते रहें हैं। समता वादी विकास की धारा को आगे बढ़ाने में नीतीश जी की विफलता अब सार्वजानिक हो गई है, विरासत को आगे बढ़ाना इनके बूते संभव नहीं है।