Jamshedpur: भारत के पर्व- त्यौहारों का न केवल शाब्दिक महत्व बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है। सारे पर्व- त्यौहार वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित हैं। ऐसा ही एक पर्व जुड़ी- शीतल है। मिथिलांचल में जुड़ी- शीतल का प्रचलन आदि काल से हो रहा है। हर साल 14 अप्रैल को जुड़ी- शीतल का आयोजन मिथिलावासी बड़े धूमधाम से करते हैं। मान्यता है कि इस दिन से मिथिलावासियों का नववर्ष शुरू होता है।
पेड़-पौधों में पानी डालकर प्रकृति को करते है शीतल
मिथिलावासी इस दिन पेड़- पौधों में पानी डालकर प्रकृति को शीतल करते हैं। इस निमित्त जमशेदपुर के लक्ष्मीनाथ परमहंस गोस्वामी मंदिर में अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद की ओर से जुड़ी- शीतल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आगामी 14 अप्रैल को इसे धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया। इस संबंध में जानकारी देते हुए परिषद के महासचिव पंकज कुमार झा ने बताया कि आज प्रकृति का जिस तरह से दोहन हो रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने सदियों पूर्व ऐसी प्रथा खोज निकाली थी। जिससे प्रकृति को संरक्षित किया जा सके। आज के युवा पीढ़ी को उसे सहेजने की आवश्यकता है। जुड़ी- शीतल के जरिए हम न केवल प्रकृति को संरक्षित कर सकते हैं। बल्कि इस प्रथा का निर्वहन कर आने वाली पीढ़ी को एक संदेश भी दे सकते हैं।