केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा बैंकों, पोस्ट ऑफिसों, बीएसएनल के साथ-साथ कई उपक्रमों का निजीकरण किया जा रहा है। जिसके विरुद्ध में आज दूसरे दिन भी डाक कर्मी हड़ताल पर डटे रहें। डाक कर्मियों ने बताया कि पूर्वर्ती सरकार ने एक समय बैंकों का सरकारीकरण कर कर्मचारियों के परिवारों का जीवन खुशहाल बनाया। वहीं वर्तमान की सरकार हर सरकारी उपक्रम का निजीकरण कर उधोगपतियों के हाथों कर्मचारियों को बंधुवा मजदूरी करने पर विवश कर रही है।
जीवन सुरक्षित नही
डाक कर्मियों ने बताया कि हम लोग ड्यूटी तो करते हैं, लेकिन हम लोग का जीवन सुरक्षित नही है। परिवार की भविष्य की चिंता सता रही है। अगर सेवा अवधि में किसी कर्मी की मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार के आश्रित को सरकार द्वारा मात्र पांच प्रतिसत कर्मी को ही अनुकम्पा का लाभ मिल पाता है। हम कर्मी सुविधा के अभाव में भी कार्य करते आ रहे हैं।
चरणबद्ध तरीके से आंदोलन
जिले में 750 से 800 ग्रामीण डाक कर्मी कार्यरत्त हैं। उन्हें अवकाश ग्रहण करने पर सरकार द्वारा कोई मदद नही की जाती है। इसके साथ ही अगर सेवा अवधि में किसी कर्मी की मृत्यु हो जाती है तो उनके आश्रित को अनुकम्पा का लाभ नही मिल पायेगा। सरकार से निजीकरण बंद करने,18 महीने का डीए भुगतान करने, नियोजित कर्मियों को सरकारी करने की मांग की है। कर्मियों ने सख्त लहजे में सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर हमारी मांगो पर विचार नही किया गया तो कर्मी बाध्य हो कर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन पर उतारू होंगे।