बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने कोचिंग संस्थानों पर नए गाइडलाइन्स जारी किए। इसके तहत सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बिहार में सभी कोचिंग संस्थानों को बंद रखने का आदेश जारी किया गया। पटना तो कोचिंग संस्थानों का शहर बन ही चुका है, राज्य के दूसरे जिले मुख्यालयों में भी कोचिंग का व्यवसाय फल-फूल रहा है। सरकार की चिंता स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने को लेकर है तो कोचिंग संचालकों की चिंता, अपने भवनों में भीड़ बढ़ाने की है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के फैसले पर नाराज कोचिंग संचालकों का कहना है कि इससे बिहार के बच्चे कोटा, दिल्ली पढ़ने चले जाएंगे।
रोजगार का दिखा रहे डर
सरकार के इस आदेश से नाराज कोचिंग संचालक यह कह रहे हैं कि सरकार के इस आदेश से लगभग 8 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित होगा। साथ ही उनका ये भी कहना है कि ऐसे फैसले से सरकार के राजस्व को भी बड़ा नुकसान होगा। कोचिंग संचालकों का एसोसिएशन कह रहा है कि वे केके पाठक के खिलाफ वे सीएम नीतीश कुमार से शिकायत करेंगे।
कोचिंग संचालकों का डर
दरअसल, कोचिंग संचालक वैसे तो राज्य सरकार के राजस्व को नुकसान बता रहे हैं। लेकिन उनका सबसे बड़ा डर ये है कि कोचिंग सेंटर्स की टाइमिंग पर सीमा लगने से उन्हें 7 घंटे पढ़ाने के लिए कम मिलेंगे। यानि हर बड़े कोचिंग संचालक को अपने हजारों छात्रों की लाखों की फीस से हाथ धोना पड़ेगा। कई संस्थानों के लिए यही लाखों की फीस करोड़ों तक पहुंच जाती है। कोचिंग संचालकों का असली डर यही है, जिसे वे राज्य सरकार के राजस्व का चोला पहना रहे हैं।
स्कूल की टाइमिंग में भी कोचिंग में भीड़
केके पाठक ने जो आदेश निकाला है, उसके पीछे का मकसद यह है कि स्कूलों में उपस्थिति बढ़े। क्योंकि यह आम स्थिति है कि टाइम कोई भी स्कूलों की बजाय कोचिंग संस्थानों में अधिक भीड़ रहती है। राजधानी पटना में बोरिंग रोड का इलाका हो या बाजार समिति या फिर शहर के बाहर कोई कोचिंग विलेज, हर जगह वैसे छात्र-छात्राएं मौजूद हैं, जिनका एडमिशन जिस स्कूल में होता है, वहां वे नहीं जाते। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। कोचिंग संचालकों की शर्त है कि अगर सरकार चाहे तो हम घोषणा करने के लिए तैयार हैं कि ना तो हम सरकारी स्कूल के छात्रों को निश्चित समय अवधि 9 से 4 बजे में पढ़ाएंगे और ना ही किसी सरकारी शिक्षक को हमारी कोचिंग में पढ़ाने की अनुमति देंगे।