बिहार की बेटी अनामिका शर्मा ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रविवार को बैंकॉक में अनामिका ने महाकुंभ का झंडा लेकर 13,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई। इस साहसिक कृत्य के साथ उन्होंने पूरे विश्व को महाकुंभ में आने का निमंत्रण दिया और ‘दिव्य कुंभ भव्य कुंभ’ का संदेश फैलाया। इस रिकॉर्ड ने न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश को गर्व महसूस कराया है।
अनामिका की प्रारंभिक शिक्षा और स्काइडाइविंग में करियर
अनामिका शर्मा का जन्म बिहार के जहानाबाद जिले के मखदुमपुर प्रखंड के कनौली गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय मनौरी और संस्कार इंटरनेशनल स्कूल, सुलेमसराय से पूरी की। अनामिका की स्काइडाइविंग यात्रा ने उसे दुनिया की सबसे कम उम्र की स्काइडाइवर्स में से एक बना दिया है। अब तक, अनामिका ने 300 से अधिक स्काइडाइव्स किए हैं, जो उनके साहस और क्षमता को दर्शाता है।
परिवार और प्रेरणा
अनामिका के पिता अजय शर्मा वायु सेना से रिटायर्ड हैं और वर्तमान में प्रयागराज में रहते हैं। उनकी माँ और परिवार का समर्थन अनामिका की सफलता के पीछे का एक बड़ा कारण है। अनामिका के पिता ने ही उन्हें स्काइडाइविंग के लिए ट्रेनिंग दी और उसे प्रोत्साहित किया।
वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और विशेष उपलब्धियाँ
अनामिका ने 2024 में अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान भी एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इसके अलावा, 2023 में उसने विंगसूट रेडियो जंप और 2022 में विंगसूट स्विंग जंप करके भी नए रिकॉर्ड स्थापित किए थे। अनामिका ने 20 साल की उम्र में यूनाइटेड स्टेट पैराशूट एसोसिएशन (यूएसपीए) की सी-कैटेगरी में स्काइडाइविंग लाइसेंस प्राप्त किया, जिससे वह भारत की सबसे कम उम्र की लाइसेंसधारी स्काइडाइवर बन गईं।
साहसिक रिकॉर्ड्स और तकनीकी कौशल
अनामिका ने 13,000 फीट की ऊंचाई से विंगसूट पायलट के साथ छलांग लगाई और 6,000 फीट की ऊंचाई पर उनके ऊपर से कूद कर 4,000 फीट पर पैराशूट खोलकर सफल लैंडिंग की। यह रेडियो स्काइडाइविंग जंप उनके साहस और तकनीकी कौशल का प्रतीक है, और यह अब तक किसी भी भारतीय महिला स्काइडाइवर द्वारा किया गया सबसे कठिन कारनामा है।
एक नई मिसाल
अनामिका की इस असाधारण उपलब्धि ने न केवल उसके परिवार, बल्कि पूरे समाज को गर्व महसूस कराया है। अनूप शर्मा, एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा, “अनामिका ने अपने परिवार और समाज का नाम रोशन किया है। उनकी इस सफलता ने युवा पीढ़ी के लिए एक नई मिसाल कायम की है, जो यह दर्शाता है कि अगर किसी में दृढ़ संकल्प और मेहनत हो, तो वह कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकता है।”
इस रिकॉर्ड ने न केवल अनामिका की मेहनत और साहस को दुनिया भर में पहचान दिलाई है, बल्कि यह बिहार और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है। अनामिका ने साबित कर दिया है कि अगर समर्पण और कड़ी मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।