अगर हौसला है तो मुसीबत भी हार मान जाती है इसका प्रमाण बिहार के जमुई की सीमा है। सीमा के सामने मुसीबत भी बौनी है। सीमा एक पैर से एक किलोमीटर पैदल चल कर रोज स्कूल जाती है। वह बड़ी होकर एक टीचर बनाना चाहती है। सीमा टीचर बन कर आसपास के लोगों को शिक्षित करना चाहती है। सीमा का घर नक्सल प्रभावित इलाका खैरा प्रखंड के फतेपुर गांव की रहने वाली है।
हादसे में अपना एक पैर गंवाना पड़ा
पिता का नाम खिरन मांझी है। 10 साल की सीमा को दो साल पहले एक हादसे में अपना एक पैर गंवाना पड़ा था। लेकिन सीमा के हौसले के आगे सब पस्त हैं। आज सीमा अपने गांव में लड़कियों के लिए मिसाल बन गई है। वह रोज एक किलोमीटर चल कर स्कूल जाती है ताकि आगे चल कर वह टीचर बन सके और लोगों को भी शिक्षित कर सके।
इलाज की जिम्मेवारी महावीर चौधरी ट्रस्ट उठाएगा
वहीं जदयू के मंत्री अशोक चौधरी ने ने आज ट्विट करते हुए लिखा है कि अब सीमा चलेगी। वहीं उन्होंने आगे लिखा है कि जमुई जिला के खैरा प्रखंड के फतेपुर गांव की रहने वाली सीमा के समुचित इलाज की जिम्मेवारी अब महावीर चौधरी ट्रस्ट उठाएगा। उन्होंने ट्विट करते हुए लिखा है कि इसकी जानकारी स्थानीय डीएम को भी दे डी गई है। शीघ्र-अतिशीघ्र बिटिया को पटना लाया जाएगा जहाँ कृत्रिम पैर के प्रत्यर्पण के बाद बिटिया अपने दोनों पैरों से चल पाएगी एवं शिक्षित व विकसित बिहार के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाएगी।