सीबीएसई द्वारा सत्र 2022-23 के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। बोर्ड ने कक्षा 11 और 12 के इतिहास एवं राजनीति विज्ञान के किताबों से गुटनिरपेक्ष आंदोलन, शीतयुद्ध के दौर, अफ्रीकी-एशियाई क्षेत्रों में इस्लामी साम्राज्य के उदय, मुगल दरबारों के इतिहास और औद्योगिक क्रांति से संबंधित अध्याय को हटा दिया गया है। इसी तरह दसवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में ‘खाद्य सुरक्षा’ से संबंधित अध्याय से कृषि पर आधारित विषय को हटा दिया गया है. जिसे लेकर बिहार में सियासत शुरू हो गई है। जहां जदयू और भाजपा फिर एक दूसरे के आमने सामने खड़ी हो गई है।
राजनीति में उठापटक जारी
बिहार की राजनीति में रोज उठापटक जारी है। बिहार में हर दिन यह सवाल उठाता है कि क्या एनडीए में सब कुछ थी चल रहा है? दरअसल आए दिन किसी न किसी बात और मुद्दों को लेकर जदयू और भाजपा आमने सामने हो जाती है। मामला अशोक सम्राट की जयंती मनाने की बात हो या बोचहां चुनाव में हार के लिए एक दूसरे पर आरोप लगाने की बात हो।
भाजपा-जदयू आमने सामने
वहीं अब बीजेपी और जदयू CBSE पाठ्यक्रम में बदलाव को लेकर आमने सामने आ गई है। जहां एक तरफ शिक्षा मंत्री व जदयू नेता विजय चौधरी ने आपत्ति जताई है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के विधायक नितिन नवीन के बाद भाजपा बिहार प्रदेश संजय जासवाल ने समर्थन किया है। मोतीहारी पहुंचे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा CBSE पाठ्यक्रम जो बदलाव हुए हैं उसे देश में लागू किया जाएगा।
CBSE पाठ्यक्रम में बदलाव का कोई औचित्य नहीं
गौरतलब है कि इसके पहले जदयू ने आपत्ति जताई थी। जदयू से शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि CBSE पाठ्यक्रम में बदलाव का कोई औचित्य नहीं है। वहीं इसकी आधिकारिक सूचना नहीं होने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि इतिहास में मुगल शासन काल अविभाज्य हिस्सा है यदि कोई देश का इतिहास समझना चाहेगा तो बीच में किसी काल-खंड को हटाया नहीं जा सकता है।
वहीं बीजेपी नेता नितिन नवीन ने CBSE पाठ्यक्रम में बदलाव का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि पहले इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा था पाठ्यक्रम में चेंज होने से नई पीढ़ी को सही जानकारी हासिल होगी।
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