गणतंत्र दिवस के भव्य समारोह में विजय चौक से कर्तव्यपथ पर बिहार की झांकी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। झांकी ने राज्य की प्राचीन ज्ञान और शांति की समृद्ध परंपरा को दर्शाया। जैसे ही झांकी मुख्य मंच के सम्मुख पहुंची, उद्घोषणा में बताया गया कि यह बिहार की झांकी है, जो भगवान बुद्ध की धर्म चक्र मुद्रा में ध्यानमग्न प्रतिमा, पवित्र बोधि वृक्ष और नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों के माध्यम से बिहार की गौरवशाली परंपरा को प्रस्तुत कर रही है।
इस झांकी ने बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को बखूबी उजागर किया। भगवान बुद्ध की 70 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा, जो राजगीर के घोड़ा कटोरा झील में स्थित है, शांति और ज्ञान का प्रतीक बनी। इस इको-टूरिज्म केंद्र ने लाखों पर्यटकों को आकर्षित किया है।
झांकी में प्राचीन नालंदा महाविहार के भग्नावशेषों को भी दिखाया गया, जो यह प्रमाणित करते हैं कि यह स्थान सदियों से ज्ञान की भूमि रहा है, जहाँ दूर-दूर से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। नए अंतर्राष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना ने इस परंपरा को वैश्विक मंच पर पुनर्जीवित किया है।
दर्शकों ने खड़े होकर बिहार की इस समृद्ध परंपरा और अद्वितीय प्रदर्शन का अभिनंदन किया। विदेशी अतिथियों ने भी झांकी की सुंदरता को कैमरे में कैद कर इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनने का प्रयास किया।
बिहार की झांकी न केवल राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित करती है, बल्कि ज्ञान और शांति के संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचाने की प्रेरणा भी देती है।