बिहार की राजनीति में एक कहानी खूब कही सुनी जा रही है, जिसमें ललन सिंह (Lalan Singh) की जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से विदाई का कारण बताया जा रहा है। इस मीटिंग के किरदार 12 विधायक थे। इन विधायकों को नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का खेल बिगाड़ना था। लेकिन पूरी प्लानिंग उलटी पड़ गई और ललन सिंह (Lalan Singh) का खेल ही बिगड़ गया।
Tejashwi को बनाना था Bihar का CM!
इस कहानी में बताया जा रहा है कि इन विधायकों को यह जिम्मा दिया गया था कि वे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को बिहार का CM बनवा दें। चूंकि तेजस्वी यादव की पार्टी RJD सिर्फ 7 विधायकों की कमी के कारण JDU को किनारे नहीं कर पा रही है। इसलिए इन विधायकों को वो कमी दूर करनी थी। कहानी कहने वाले यह भी बता रहे हैं कि इन विधायकों को ललन सिंह (Lalan Singh) लीड कर रहे थे।
हुई थी ‘सीक्रेट मीटिंग’?
तख्तापलट की इस कहानी में आगे बताया जा रहा है कि इन विधायकों की एक सीक्रेट मीटिंग हुई थी। लेकिन यह सीक्रेट मीटिंग में ही सारे भेद खुल जाने का कारण बन गई। दरअसल, इन विधायकों में से ही एक ने Nitish Kumar और उनके करीबी नेता के सामने इस मीटिंग का भेद खोल दिया। इसी के बाद से एक और कहानी की प्लॉटिंग शुरू हुई, जिसमें ललन काल के अंत को खूबसूरत मोड़ देने का विकल्प राष्ट्रीय अध्यक्ष को दिया जाना तय हुआ। लेकिन सवाल अभी भी वही है कि आखिर ये दर्जन भर विधायक कौन हैं?
दल JDU, दिल में RJD?
इन विधायकों के बारे में बताया जा रहा है कि ये सभी विधायक JDU के टिकट पर विधानसभा पहुंचे हैं। लेकिन इन सभी के दिल में RJD के लालटेन की लौ जलने लगी है। चूंकि राजद, कांग्रेस और लेफ्ट के दलों को मिलाकर विधायकों की संख्या 115 पहुंच जाती है। जबकि विधानसभा में 122 विधायकों की संख्या होने पर सरकार बन सकती है। तो इन विधायकों को यही जिम्मा ललन सिंह द्वारा दिया गया था, ये उस कहानी के अनुसार बताया जा रहा है।
ललन करते इन्हें बर्खास्त, तो बन जाती बात?
दरअसल, इन विधायकों को तेजस्वी यादव को सीएम बनने के लिए समर्थन देने की इच्छा तभी पूरी हो सकती थी, जब वे बिना सदस्यता गंवाए तेजस्वी को समर्थन देते। कहानी के अनुसार, इसके लिए ललन सिंह को इन विधायकों को पार्टी से बाहर करना था। ऐसा करने से इनकी सदस्यता रद्द नहीं होती और सत्तापलट का खेल पूरा हो सकता था।
अब यह कहानी कितनी सच्ची है, यह तो वे विधायक और इसके असली पात्र ही जान सकते हैं। लेकिन अगर कहानी सच्ची है तो ललन काल का अंत, बिहार की राजनीति में नए खेल की शुरुआत बन सकता है।