भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों में से एक, बिहार भीषण जल संकट का सामना कर रहा है क्योंकि यह क्षेत्र वर्षा में भारी कमी से जूझ रहा है। कई स्थानों पर नदियाँ सूख गईं और भूजल स्तर में भारी गिरावट आई। इस चिंताजनक स्थिति ने कई जिलों को प्रभावित किया है, जिससे आबादी के लिए पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।
सूबे में इस समय 40 से अधिक नदियां सूख चुकी हैं। इन नदियों के बड़े हिस्से से पानी गायब है। कई नदियों में जो कुछ पानी है तो उनका बहाव पूरी तरह खत्म है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसी नदियां भी हैं, जिनका पानी तेजी से खत्म हो रहा है। कई नदियों के कुछ हिस्से में पानी है, पर इसके बड़े हिस्से में धूल उड़ रही है। कई नदियों में थोड़ा-बहुत पानी जलस्रोत बनकर या फिर नाले की तरह बह रहा है।
हैरत की बात तो यह है कि अब मानसून के बाद ही नदियों के सूखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। दिसंबर के बाद नदियों में पानी की मात्रा कम होने लगती है और फरवरी में ही उसके सूखने का सिलसिला शुरू हो जाता है। पहले नदियों में पानी की मात्रा मई में कम होती थी। दक्षिण बिहार के 8 जिलों की 24 पंचायतों में 50 फीट तक पानी नीचे चला गया है। 2011 में ही तत्कालीन जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने केन्द्र के समक्ष नदियों के संकट का मामला उठाया था। उन्होंने गाद की समस्या की गंभीरता से भी केंद्र को आगाह किया था
नदियों का संकट 90 के दशक के बाद बढ़ने लगा था। इसका सबसे बड़ा कारण भूजल का अत्यधिक दोहन है। हमने जमीन के अंदर से बेतहाशा और अराजक तरीके से पानी निकाला है। नदियां जमीन को रिचार्ज करती हैं। वे भूजल का स्तर मेंटेन रखने में मदद करती हैं। लेकिन, हमने जब जमीन से ही पानी निकालना शुरू कर दिया तो नदियों का पानी भूतल में जाने लगा। परिणाम यह हो रहा है कि नदियों के सूखने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है।
नदी और जल विशेषज्ञ आरके सिन्हा ने बताया कि नदियां सूख नहीं रही, खत्म हो रही हैं। पर, हमें इसकी चिंता नहीं। हमने खुद नदियों को संकट में डाला है। भूजल का अत्यधिक दोहन व जलस्रोतों को खत्म कर हमने इसकी पृष्ठभूमि तैयार की है। वेटलैंड खत्म हो रहे हैं, जो नदियों के जलस्तर को बनाए रखते थे। चौर, आहर, पईन, ताल-तलैया, मन जैसे जलस्रोत कहां रह गए हैं। ये सब भूजल स्तर को बनाए रखते थे।
इन नदियों के बड़े हिस्से में पानी नहीं
पंचाने, धोबा, चिरैया, मोहाने, नोनाई, भूतही, लोकाईन, गोईठवा, चंदन, चीरगेरुआ, धर्मावती, हरोहर, मुहानी, सियारी, माही, थोमाने, अवसाने, पैमार, बरनार, अपर किऊल, दरधा, कररुआ, सकरी, तिलैया, मोरहर, जमुने, नून, कारी कोसी, बटाने, किउल, बलान, लखनदेई, खलखलिया, काव, कर्मनाशा, कुदरा, सुअवरा, दुर्गावती, कमला धार, तीसभवरा, जीवछ, बाया, नून कठाने।