राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य और महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के निधन के बाद उनकी बहू ने उनके नाम एक पत्र लिखा है। आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) की बहू शांभवी, समस्तीपुर लोकसभा की सांसद और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी की बेटी हैं। किशोर कुणाल के निधन के लगभग एक हफ्ते बाद शांभवी ने एक पत्र के माध्यम से अपनी भावनाएं लिखी हैं। इस पत्र में शांभवी ने किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) को “बिहार के रतन टाटा” शब्द से संबोधित किया है।
पढ़िए शांभवी चौधरी का Acharya Kishore Kunal के नाम पूरा पत्र
“बिहार के रतन टाटा”,
“वो सूरज हैं, जहां जाएंगे , प्रकाश फैलाएंगे”,
“बिहार के लिए एक युग का अंत”,
”कभी-कभी भगवान को भी भगवान की जरूरत पड़ती है।”,
“लोग आज धर्म के नाम पर लाठी चला देते हैं….इन्होंने धर्म के नाम पर बन्दूक छोड़ दी थी”
यह मेरे शब्द नहीं हैं। ये उन लोगों के शब्द हैं जिन्होंने आपको सही मायने में जाना और आपके साथ रहे, जिन्होंने आपकी उपस्थिति, आपकी बुद्धिमत्ता और आपके प्यार का अनुभव किया।
मैं सच में सबसे भाग्यशाली हूं, क्योंकि इस जीवन में मुझे आपका सान्निध्य और आशीर्वाद मिला। यह मेरा सौभाग्य था कि मैंने आपके अनुभव और आपके विचारों को जाना-समझा और उनसे सीखा, आपके द्वारा अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए की गई अथक मेहनत को देखा, और उन मूल्यों और आदर्शों से आकार लिया जिन्हें आप हमेशा दृढ़ता से मानते थे। आपकी यादें आपकी सीख मेरे लिए दीपक समान हैं, जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।
सौभाग्यशाली हूं क्योंकि महादेव ने मुझे आपकी बहु बनने का आशीर्वाद दिया। जिस क्षण मैंने इस परिवार में कदम रखा, मैंने आप पर विश्वास किया और बदले में मुझे ऐसा अपनत्व और सम्मान से मिला जिसे मैं हमेशा संजोकर रखूंगी। मैं हमेशा उन गौरवान्वित पलों को याद करूंगी जो आपने मेरे लिए महसूस किया, और वह मुझे वही ऊर्जा और संकल्प के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा। हर भाषण, हर साक्षात्कार के बाद, मैं आपके उत्साहवर्धक शब्दों को अपने दिल में सुनूंगी, और मुस्कुराऊंगी, यह जानते हुए कि कहीं न कहीं आप भी मुस्कुरा रहे होंगे और मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे।
मैं कभी नहीं भूलूंगी कि आपने अपनी बहु के लिए जिस दृढ़ विश्वास से प्रचार किया, वह अद्वितीय रहेगा। कोई और कभी मेरे साथ वैसे खड़ा नहीं होगा जैसा आप रहे । मैं हमेशा आपके अनुशासन को याद रखूंगी, कि वह आपके लिए कितना महत्वपूर्ण था और उसने आपके हर कार्य को कैसे प्रभावित किया। निराशा के समय में, आप निडर खड़े रहे—आपकी बहादुरी मेरे लिए एक प्रकाश स्तंभ बन गई, जिसका अनुसरण मैं करती रहूंगी। आपकी ईमानदारी, जिसने सबसे शक्तिशाली को भी हिलाकर रख दिया, मेरे लिए सत्य की ताकत का स्थायी अनुस्मारक बनकर रहेगी।
दुनिया आपको एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद रखेगी, पापा जिन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया, एक ऐसे व्यक्ति के रूप में आपको याद रखेगी जिसकी ईमानदारी अडिग थी। मैं अपने हर कार्य में उन सिद्धांतों को जीवित रखने और यह सुनिश्चित करने का प्रयास करूंगी।
हालाँकि आपके साथ बिताया समय बहुत कम था, लेकिन जो कुछ भी आपने मुझे सिखाया, जो कुछ भी मैंने आपसे सीखा, मैं उसे हमेशा संजोकर रखूंगी। मेरे जीवन में आपकी उपस्थिति भले ही थोड़े समय के लिए थी, लेकिन उसका प्रभाव अनंत रहेगा। मेरा दिल और मेरी आत्मा जानती है कि आप हमेशा हमारा हाथ थामे रहेंगे और हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। मुझे विश्वास है उनलोगों की बातों पर जो कहते हैं कि सच्चा प्यार कभी खोता नहीं है।
आपके साथ एक युग का अंत हो गया, पापा.. आप जैसे थे, अब कोई और ऐसा नहीं होगा।
You will continue to live in the countless hearts you touched, healed and changed. Rest in power, hero!