पटना: बिहार में 70 साल बाद हो रहे व्यापक भूमि सर्वेक्षण के तहत नीतीश कुमार सरकार ने अब तक 31 लाख खेसरा की सरकारी जमीन की पहचान की है, जो कुल 17.86 लाख एकड़ के क्षेत्रफल में फैली है। यह जानकारी राज्य के राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने साझा की है। इस सर्वेक्षण को सरकार की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है, क्योंकि इससे जमीन के सही उपयोग और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।
राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) दीपक कुमार सिंह ने बताया कि इस सर्वे का उद्देश्य राज्य की सारी भूमि का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना है। उन्होंने कहा कि “पिछले दशकों में हुए सर्वे के बाद जमीन का उपयोग योजनाओं और अन्य उद्देश्यों के लिए हुआ होगा। इसलिए पुष्टि के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि कितनी सरकारी जमीन वास्तव में उपलब्ध है।”
सरकारी जमीन के रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने के लिए खाता-खेसरा को लॉक किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की हेरफेर या अतिक्रमण से बचा जा सके। यह कार्य जिला स्तर पर बनी समितियों के माध्यम से हो रहा है, जो दावों की जांच कर रही हैं।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार सरकारी जमीन की पहचान के बाद अब यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कहीं इस पर अवैध कब्जा या अतिक्रमण तो नहीं है। अगर ऐसा मामला पाया जाता है, तो तुरंत कार्रवाई की जाएगी। सभी जिलाधिकारियों (डीएम) को जमीन माफियाओं से सरकारी जमीन की सुरक्षा के निर्देश दिए गए हैं।