बिहार में विधानसभा चुनाव में अब एक साल का ही वक्त बचा है। अभी जो राजनीतिक स्थिति है, उसमें एनडीए और महागठबंधन के बीच ही लड़ाई है। लेकिन इस सीधी लड़ाई को चौतरफा मुकाबला बनाने की तैयारी चल रही है। आमने सामने की लड़ाई में तीसरा कोण बनाने का प्रयास प्रशांत किशोर की जनसुराज कर रही है। प्रशांत किशोर सत्ताधारी जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं। तो अब जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह नई पार्टी लांच कर मुकाबले को चौतरफा बनाने की कोशिश करने वाले हैं।
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दरअसल, जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के मौजूदा नेता आरसीपी सिंह अब नया दल बना रहे हैं। जदयू छोड़ने के बाद बिहार भर में घूमने के बाद आरसीपी सिंह लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन नीतीश कुमार और जदयू की एनडीए में वापसी ने आरसीपी सिंह के भाजपा में कद को छोटा कर दिया। भाजपा में आरसीपी सिंह की पूछ खत्म हो गई और यही उन्हें तकलीफ दे रही है। अपनी तकलीफ से उबरने के बाद अब आरसीपी सिंह नया राजनीतिक दल बना रहे हैं और विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
जदयू के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने गांधी जयंती पर जनसुराज की लांचिंग के बाद अब उपचुनाव में अपने उम्मीदवारों को उतारने का फैसला किया है। इसमें तरारी सीट पर उन्होंने जनरल एसके सिंह को उम्मीदवार घोषित भी कर दिया है। साथ ही प्रशांत किशोर का यह भी दावा है कि आने वाले दिनों में वे इमामगंज, रामगढ़ और बेलागंज सीट के लिए भी अपने उम्मीदवार उतारेंगे। इसके अलावा प्रशांत किशोर अभी से दावा कर रहे हैं कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
दूसरी ओर भाजपा में उपेक्षा झेल रहे जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अपनी तीसरी राजनीतिक पारी खेलने के लिए तैयारी शुरू कर चुके हैं। पार्टी बनाने को लेकर आरसीपी सिंह ने बिहार के अलग अलग जिलों का दौरा किया है। इसके बाद तीन दिवसीय बैठक भी बुलाई है। 15 अक्टूबर को पहली बैठक हुई, जिसमें संगठन बनाने का और उसका विस्तार करने की तैयारी पर चर्चा हुई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार आरसीपी सिंह कम से कम बिहार विधानसभा की 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। हालांकि यह संख्या अभी बढ़ सकती है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में अभी लगभग एक वर्ष का समय शेष है। हालांकि संगठन खड़ा कर मजबूत बनाने के लिए एक साल का वक्त कम है लेकिन आरसीपी सिंह जदयू और भाजपा के अपने अनुभवों का पूरा इस्तेमाल करना चाहते हैं, जिससे बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी प्रासंगिकता को जता सकें।