सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बिहार में पुलों की मरम्मत और निर्माण को लेकर राज्य सरकार और एनएचएआई गंभीर हो गए हैं। राज्य में पुलों के गिरने की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और एनएचएआई से इस मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है।
क्या हो रहा है:
- स्ट्रक्चरल ऑडिट: राज्य के सभी पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट किया जा रहा है। इसमें पुलों की उम्र, क्षमता और मरम्मत की जरूरत का आकलन किया जा रहा है।
- नई मेंटेनेंस पॉलिसी: पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग दोनों ही अपनी-अपनी मेंटेनेंस पॉलिसी बना रहे हैं। इन पॉलिसियों में पुलों के नियमित रखरखाव और मरम्मत के लिए दिशानिर्देश दिए जाएंगे।
- पुराने पुलों का निर्माण: बहुत पुराने और क्षतिग्रस्त पुलों को ध्वस्त करके नए सिरे से बनाया जाएगा।
- मानक प्रक्रिया: सभी निर्माण कार्यों में मानक प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। इसमें डिजाइन, गुणवत्ता नियंत्रण और आवश्यक अनुमतियां शामिल हैं।
- एनएचएआई की तैयारी: एनएचएआई भी पुलों के बेहतर रखरखाव के लिए पुख्ता तैयारी कर रहा है।
क्यों जरूरी है यह कदम:
- सुरक्षा: पुलों की मरम्मत और निर्माण से लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
- यातायात: इससे यातायात सुचारू रूप से चल सकेगा।
- विकास: बेहतर सड़क और पुल परिवहन के विकास में मदद करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका:
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और राज्य सरकार और एनएचएआई को इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
आगे का रास्ता:
राज्य सरकार और एनएचएआई को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा। उन्हें एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे पुलों की नियमित जांच और मरम्मत होती रहे। साथ ही, भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे।