बिहार में महागठबंधन की सरकार बने लगभग 6 महीने पुरे होने वाले हैं। इन 6 महीनों में महागठबंधन मजबूत होने की बजाय कमजोर होता दिख रहा है। सात दलों की साँठ-गाँठ से बने महागठबंधन की गांठे दिन-प्रतिदिन कमजोर होती जा रही हैं। महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियां राजद और जेडीयू के बीच खींचतान पिछले कुछ समय से ज्यादा बढ़ी हैं। पहले राजद विधायक और पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तबड़तोड़ हमला बोलने से मामला शुरू हुआ। उसके बाद इस कड़ी में राजद के कई और नेताओं का नाम जुटता चला जा रहा है। फिलहाल में राजद कोटे से शिक्षा मंत्री बने प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए विवादित बयान को लेकर भी राजद और जेडीयू की अलग-अलग राय है। वही अब महागठबंधन के एक और साथी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा का भी भरोसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से कम होता जा रहा है।
विवादित बयान पर फंसे शिक्षा मंत्री, दर्ज हो सकती है FIR
‘तपोवन के साथ अन्याय हो रहा’
अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी एक बार फिर से सुर्ख़ियों में हैं। वो खुलकर कभी भी कुछ नहीं कहते हैं लेकिन हमेशा ही इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपने निशाने पर ले लेते हैं। मुख्यमंत्री के विकास के दावों पर प्रश्न खड़ा कर देते हैं। ऐसा ही एक बार फिर से हुआ है। दरअसल बीते दिन शनिवार को गया जिले के मोहड़ा प्रखंड में आयोजित तपोवन महोत्सव में जीतन राम मांझी शामिल हुए थे। मंच से अपने संबोधन के दौरान उन्होंने बिहार सरकार पर तपोवन की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि या जिले के तपोवन को पर्यटक हब बनना चाहिए था, लेकिन यहां विकास न होना, यहां के लोगों के लिए अन्याय की बात है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि हम कुछ और दिन (मुख्यमंत्री ) रहते तो इस जगह को पर्यटक का राजधानी बनाते।