संविदा कर्मी से ठेकेदार बने अनुराग की हत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। मृतक अनुराग के परिजनों ने पुलिस पर गंभीर लापरवाही और आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है। मृतक के भाई बिट्टू कुमार ने हत्या के पीछे पशुपालन मंत्री रेणु देवी और अन्य संदिग्धों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। बिट्टू ने कहा कि उनके भाई अनुराग ने मौत से पहले अपनी पत्नी को बताया था कि पशुपालन मंत्री उनसे नाराज थीं। अनुराग के मुताबिक, मंत्री ने कहा था कि “वह यहां नहीं दिखना चाहिए।” बिट्टू का दावा है कि हत्या में मंत्री के साथ-साथ पशु तस्कर, अविनाश पासवान और उसके दोस्त अंकित व सन्नी की भूमिका हो सकती है।
अनुराग 30 दिसंबर 2024 को कदमकुआं इलाके से पशुपालन मंत्री के घर जाने के लिए निकले थे, लेकिन देर शाम तक घर नहीं लौटे। परिजनों ने 31 दिसंबर को कदमकुआं थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। परिजनों ने शक के आधार पर अविनाश पासवान को पुलिस के हवाले किया, लेकिन केस के जांच अधिकारी (IO) साजिद अख्तर पर आरोप है कि किसी की पैरवी के बाद अविनाश को बिना जांच छोड़ दिया गया। परिजनों का आरोप है कि यदि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो आज अनुराग जीवित होते।
परिजनों ने हत्या के साक्ष्य के तौर पर कई फुटेज पुलिस को सौंपे, लेकिन पुलिस ने उन्हें स्वीकार करने से इनकार कर दिया। परिजनों का दावा है कि जिस मकान में हत्या हुई, वहां लगे CCTV कैमरे जानबूझकर खराब किए गए थे। बिट्टू ने बताया कि अनुराग ने हीरे की अंगूठी, सोने की चेन, ब्रेसलेट और एक महंगा आईफोन पहना था, जिसकी कीमत करीब 10-12 लाख रुपये थी। ये सामान अब तक बरामद नहीं हुआ है।
बता दें कि अनुराग 2019 में पशुपालन विभाग से जुड़े थे। उनकी पहली पोस्टिंग किशनगंज में हुई। बाद में VIP प्रमुख और पूर्व पशुपालन मंत्री मुकेश साहनी के कार्यकाल में उन्हें पटना बुलाया गया। हाल के दिनों में वह विभाग में ठेकेदारी करते थे और गौरक्षणी से जुड़े थे। अनुराग गौ तस्करी के खिलाफ एक बड़ी मुहिम चला रहे थे।
अनुराग के परिजनों ने इस मामले की एसआईटी जांच की मांग की है। परिजनों का आरोप है कि मामले में उच्च स्तरीय राजनीतिक दबाव है और साक्ष्यों को नष्ट किया जा रहा है।