विश्व यक्ष्मा दिवस के पूर्व संध्या पर पब्लिक अवेयरनेस फॉर हेल्थफुल एपरोच फॉर लिविंग (पहल) के तत्वाधान में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान पहल के चिकित्सा निदेशक एवं वरिष्ठ फिजिशियन डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि फेफडों की टी.बी. से संक्रमित एक व्यक्ति एक साल में 10 से 15 स्वस्थ्य लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी के सर्वाधिक मरीज भारत में
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने आगे बताया कि 6 से 9 महीनों की टी.बी. की पूरी दवा की कोर्स लेनी चाहिए। विश्व भर में सर्वाधिक टी.बी. के मरीज भारत में हैं जो पूरे विश्व के टी.बी. के मरीजों का 20 प्रतिशत है। 24 मार्च 1882 में डा० रॉबर्ट कोच ने टी.बी. के बैक्टीरिया की खोज की थी । विश्व में प्रतिवर्ष करीब 13 लाख व्यक्ति की मृत्यु टी.बी. से होती है जिसमें 26 प्रतिशत भारत में होती है। विश्व में प्रति मिनट 3 व्यक्तियों की मृत्यु टी.बी. से होती है जिसमें एक तिहाई भारवर्ष में होती है।
टी.बी के लक्षण
डॉ. तेजस्वी ने फेफड़े में टी.बी. के लक्षण बताते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा खांसी हो रही हैं, सीने में दर्द हो, बलगम में खुन हो, शाम के शाम हल्की बुखार आती हो, कमजोरी हो, वजन की कमी हो ये सभी टी.बी. के लक्षण हो सकते है। वैसे लोगों को निकटम स्वास्थ्य केन्द्र में बलगम की जाँच करा लेनी चाहिए। टी.बी. के रोगियों को खांसते वक्त मुँह पर रूमाल रख लेनी चाहिए क्योंकि टी.बी. के रोग के फैलाव का मुख्य कारण रोगियों के खांसने एवं छीकने से वातावरण में निकले टी.बी. के किटाणु होते हैं।