पटना. सीएम नीतीश कुमार सीता जन्मभूमि पुनौरा धाम के उद्धार की पहल और जदयू-राजद द्वारा भाजपा पर सीता जन्मभूमि की उपेक्षा के सवाल पर पूर्व विधान पार्षद और वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रणबीर नंदन ने जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि भगवान राम और माता सीता के अस्तित्व को जदयू और राजद स्वीकार रहे हैं। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण पर राजनीति का आरोप लगाने वाले जदयू व राजद के नेताओं को बताना चाहिए कि अगर वे भाजपा पर रामजन्मभूमि के जरिए राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं तो सीएम नीतीश कुमार द्वारा पुनौरा धाम के उद्धार की पहल को राजनीति क्यों नहीं कह रहे हैं। क्योंकि पुनौरा धाम कोई नई खोज तो है नहीं और पिछले 18 सालों से नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री हैं। पुनौरा धाम को लेकर कोई विवाद भी नहीं है, कानूनी अड़चन भी नहीं है तो फिर वहां के विकास कार्यों में इतनी देर कैसे लग गई।
डॉ. नंदन ने कहा कि जदयू और राजद के नेता भगवान राम और माता सीता को अलग अलग देखने-दिखाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि माता सीता और भगवान राम कभी अलग हो ही नहीं सकते। लेकिन जदयू-राजद दोनों भगवान राम और माता सीता के अस्तित्व पर सवाल उठाने की नीति को मानते रहे हैं। लेकिन उन्हें पता चल गया है कि भगवान राम इस देश की करोड़ों जनमानस की श्रद्धा और भक्ति के द्योतक हैं और उन पर सवाल उठाने वाले राजनीतिक रसातल में चले जाते हैं। कांग्रेस और राजद इसी कारण रसातल में पहुंचे हैं और अब जदयू की बारी है।
उन्होंने कहा कि मूलत: नीतीश कुमार जी धार्मिक व्यक्ति हैं। लेकिन मौजूदा वक्त में गैर-धार्मिक लोगों से घिरे हुए हैं और माता सीता को भगवान राम से अलग देखकर जघन्य पाप का भागीदार बन रहे हैं। भारतीय जनमानस “एक राम दशरथ का बेटा! एक राम घट घट में बोला ! एक राम रचा संसारा! एक राम है सबसे न्यारा ! को मानता रहा है। भारत की आत्मा में राम रचे बसे हैं और सीता राम में शक्ति साथ राम हैं! कोई अंतर नहीं है। लेकिन राजनीतिक स्वार्थ में अंधे हो चुके जदयू-राजद के नेताओं को भगवान राम और माता सीता में अंतर दिख रहा है।
डॉ. नंदन ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार पुनौराधाम में पूजा-अर्चना कर बिहार की सनातन जनता की भावनाओं का आह्लादित किया है, उसी प्रकार उन्हें 22 जनवरी को रामलला की पूजा अयोध्या में कर बिहार की जनता के भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।भगवान राम के मंदिर को तोड़कर बाबर ने बाबरी मस्जिद बना दी और अब कानूनी मान्यता मिलने के बाद वहां भव्य व दिव्य भगवान राम का मंदिर निर्माण हो रहा है। नीतीश कुमार जी अयोध्या में राम मंदिर के विकास की रूप रेखा को पुनौरा धाम में लागू कर सर्वोत्तम मॉडल का अनुकरण कर सकते हैं।
डॉ. नंदन ने कहा कि महागठबंधन के नेताओं को बिहार की जनता भली भांति जान और समझ चुकी है। ये पहले बिहारियों को बांटने में जुटे थे, अब भगवान राम और माता सीता को बांट रहे हैं। बांटने की नीति भारत और बिहार में असफल रही है और आगे भी रहेगी। राम और सीता एक ही हैं और हमारी मान्यता है की परमात्मा की एक परम सत्ता है और विभिन्न समयों में रूप में परमात्मा धरती पर आते हैं। मानव जाति का कल्याण करते हैं। ऐसे भारतवर्ष में अनेकों उदाहरण हैं कि समय पर महान संतों का जन्म हुआ और उन्होंने मानवजाति की सेवा की और उसी में एक महान संत तुलसीदास हुए जिन्हें भगवान राम का दर्शन प्राप्त हुआ। राम और सीता भाजपा के लिए करोड़ों सनातनियों के लिए श्रद्धा-भक्ति के द्योतक हैं। इसके नाम पर राजनीति महागठबंधन के नेता कर रहे हैं। वे यह जानते हैं की हिंदुत्वबोध राजनीति भारत की आत्मा हो चुकी है और 2024 लोकसभा चुनाव में मोदी भाजपा की प्रचंड आंधी के सामने महागठबंधन धराशाई हो जाएगा, जिसका सजीव उदाहरण अभी आए विधानसभा चुनाव के परिणाम हैं। इसलिए महागठबंधन के नेता धार्मिक कार्यकलापों में अपने आप को संलग्न रखने का नाटक कर रहे हैं। इस कारण ये लोग मूर्खतापूर्वक सीता और राम के अलग अलग दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि सीता राम शब्द व्यापक है, और यही यह शब्द है जो मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास को लाता है ।सीताराम,सीताराम,सीताराम कहिए, जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए वाली सोच भारतीयों की आत्मा में है।