बिहार के प्रसिद्ध बाबा गरीबनाथ मंदिर की 270 स्क्वायर फीट जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। यह जमीन मुजफ्फरपुर नगर निगम की है, जिसे जिला प्रशासन ने मंदिर ट्रस्ट को नैवेद्यम प्रसाद वितरण के लिए अस्थायी उपयोग के लिए दी थी। हालांकि, सोगरा वक्फ बोर्ड ने इस पर दावा जताते हुए आपत्ति दर्ज कराई है। सोगरा वक्फ बोर्ड ने इस मामले को बिहार स्टेट वक्फ ट्रिब्यूनल में उठाया, जहां ट्रिब्यूनल ने मुजफ्फरपुर जिलाधिकारी को इस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को निर्धारित की गई है।
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2022 में नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय के आदेश पर यह जमीन बाबा गरीबनाथ मंदिर को अस्थायी रूप से धार्मिक कार्यों के लिए दी गई थी। सावन माह में विशेष रूप से इसका उपयोग नैवेद्यम प्रसाद वितरण के लिए होता है। सोगरा वक्फ बोर्ड ने इसे लेकर आपत्ति दर्ज कराई, यह कहते हुए कि यह जमीन मंदिर ट्रस्ट को नहीं दी जानी चाहिए।
गरीबनाथ मंदिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष और पूर्वी अनुमंडल पदाधिकारी अमित कुमार ने कहा कि मुशहरी अंचलाधिकारी को मामले का जवाब तैयार करने का निर्देश दिया गया है। समिति ने स्पष्ट किया है कि यह जमीन केवल उपयोग के लिए दी गई थी और न्यास इसका उचित तरीके से प्रबंधन कर रहा है।
मुस्लिम पक्ष की ओर से इम्तियाज आलम ने कहा, “हम सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए तैयार हैं। मामला अब ट्रिब्यूनल में है, और जो फैसला आएगा, उसे स्वीकार किया जाएगा। इसका सामाजिक संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
यह मामला धार्मिक और सामाजिक संतुलन का विषय बन गया है। 28 जनवरी को होने वाली सुनवाई में जिला प्रशासन, मंदिर ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड के पक्षों को प्रस्तुत किया जाएगा। इस विवाद का हल केवल कानूनी प्रक्रिया के जरिए निकलने की उम्मीद है।