एक बार फिर बिहार में चुनाव की सुगबुगाहट और उससे पहले खरमास। दरअसल, बिहार में मान्यता है कि खरमास में कोई नया काम नहीं होता। बिहार की राजनीतिक इतिहास में कई बड़े बदलाव खरमास के कारण टले हैं लेकिन उसके तुरंत बाद हुए हैं। अमूमन 14 दिसंबर से 14 जनवरी तक का महीना राजनीतिक रूप से नया काम करने के लिए नेताओं ने अछूत की श्रेणी में डाल दिया है। लेकिन उसके बाद क्या होगा, यह बात खरमास के पहले और उसके दौरान खूब चर्चा में रहती है। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव और और इससे पहले आने वाले खरमास के बाद बिहार में एक बार फिर यह चर्चा शुरू है कि क्या सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर पाला बदलेंगे?
दरअसल, बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच इशारों में हुई बातचीत ने एक बार फिर राजनीतिक हलचल मचा दी है। इस बातचीत के बाद नीतीश कुमार के पाला बदलने को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है। तेजस्वी यादव ने इशारों में दिए गए इस संकेत पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बुझे वाला सब बुझता है”, जिससे सियासी जगत में चर्चाएं तेज हो गई हैं। नीतीश कुमार, जो अक्सर यह कहते रहे हैं कि वे BJP के साथ बने रहेंगे, ने हाल ही में कहा था कि वे ‘मरते दम तक NDA का साथ नहीं छोड़ेंगे’, और कुछ समय पहले तक RJD के साथ अपने गठबंधन को लेकर आश्वस्त थे। हालांकि, विधानसभा में उनके और तेजस्वी के बीच की इशारों में बातचीत ने अब उनकी निष्ठा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
नीतीश कुमार के इस बयान को लेकर पहले से ही राजनीति में कयास लगाए जा रहे थे। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सचमुच फिर से पाला बदलने की योजना बना रहे हैं, या फिर यह केवल राजनीतिक बयानों का हिस्सा है? दरअसल, जब विधानसभा की कार्यवाही स्थगित हुई और तेजस्वी यादव से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भी इशारों में ही प्रतिक्रिया दी। तेजस्वी ने कहा कि “हम तो शुरू से कहते आ रहे हैं कि व्यक्तिगत तौर पर हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सम्मान करते हैं। लेकिन राजनीतिक तौर पर उनकी न कोई विचारधारा है और न ही नीति। इसलिए हम उनका विरोध करते हैं।” तेजस्वी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री इशारे में कुछ बातें कहते रहते हैं, तो हम भी इशारे में जवाब देते रहते हैं। बुझे वाला सब बुझता है।”
तेजस्वी के इस बयान के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक बदलाव होने जा रहा है। क्या नीतीश कुमार फिर से बीजेपी से अपना रिश्ता तोड़कर RJD के साथ जा सकते हैं, या फिर उनका यह बयान महज एक सियासी बयान है? यह स्पष्ट नहीं है कि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा, लेकिन उनके और तेजस्वी के बीच हुई इस इशारों में बातचीत ने बिहार की राजनीति में नए सिरे से हलचल मचा दी है। भाजपा और जेडीयू के गठबंधन में बने रहने की अपनी बातों को नीतीश कुमार ने कई बार दोहराया था, लेकिन अब उनकी निष्ठा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।