राजनीति में अग्निपरीक्षा हर चुनाव में होती है। राजनेताओं की सफलता का पैमाना उनके चुनाव जीतने के रिकॉर्ड पर निर्भर करता है। बिहार की राजनीति में पिछले तीन दशकों में दो ही नेता रहे हैं। जो समकालीन भी हैं और इन दिनों एक साथ भी। वो हैं पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और सीएम नीतीश कुमार। वैसे तो लालू यादव कानूनी बंदिशों में फंसकर सक्रिय राजनीति से बाहर हो चुके हैं। लेकिन लालू यादव की इमेज ऐसी है कि उनकी सक्रियता के बगैर बिहार की राजनीति निष्क्रिय लगने लगती है। वैसे लालू यादव और नीतीश कुमार की अग्निपरीक्षा तय हो चुकी है। दोनों का दिन तो एक है, लेकिन हालात और जज्बात अलग हैं।
नीतीश की परीक्षा चुनाव में
दरअसल, सीएम नीतीश कुमार की परीक्षा चुनाव में होने वाली है। चुनाव कुढ़नी विधानसभा में हो रहा है। यह उपचुनाव है जो राजद के अनिल सहनी की बर्खास्तगी के बाद हो रहा है। राजद ने यह सीट जदयू को गिफ्ट कर दी है। यहां से इस बार जदयू के मनोज कुशवाहा महागठबंधन के साझा उम्मीदवार हैं। उनके सामने भाजपा के केदार गुप्ता हैं, जो उन्हें पहले भी हरा चुके हैं। चुनाव की तारीख 5 दिसंबर को तय है। इस दिन न सिर्फ मनोज कुशवाहा की परीक्षा होनी है। बल्कि उपचुनाव में नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस चुनाव में जीत-हार से ही सीएम नीतीश कुमार की राजनीतिक परीक्षा का रिजल्ट तय होगा।
सिंगापुर में लालू की परीक्षा
दूसरी ओर लालू यादव भी परीक्षा से गुजर रहे हैं। दरअसल, बीमार लालू यादव इन दिनों सिंगापुर में हैं। वहां उनका किडनी ट्रांसप्लांट होना है। उन्हें किडनी उनकी बेटी रोहिणी आचार्या डोनेट कर रही हैं। लालू और रोहिणी दोनों तीन दिसंबर को ही सिंगापुर के अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। पांच दिसंबर को लालू का ऑपरेशन होना है। यह दिन लालू के हेल्थ के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। क्योंकि उम्र के इस पड़ाव पर ट्रांसप्लांट जैसा ऑपरेशन हो रहा है।