बिहार में शराबबंदी कानून लागु हुए 6 साल का समय हो चुका है। इसके बाद भी जमीनी हकीकत पर इसकी सच्चाई कुछ और है। आए दिन शराब से जुड़े नए-नए मामले सामने आते रहते हैं जो शराबबंदी की पोल खोल देते हैं। उत्पाद विभाग की टीम द्वारा जगह-जगह पर छापेमारी कर शराब के धंधेबाजों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी कानून को लेकर प्रशासन को सख्ती बरतने का दिशा-निर्देश देते रहते हैं। सारण शराबकांड के बाद बिहार सरकार जमकर किरकिरी हुई थी।
उसके बाद से ही शराब के धंधेबाजों के पर कर्रवाई तेज कर दी गई है। लेकिन इसके बावजूद भी शराबी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। नया मामला समस्तीपुर से सामने आया है जो काफी चौंकाने वाला है। समस्तीपुर के कलेक्टरेट परिसर से शराब की बोतलें बरामद की गई हैं। जिसके बाद से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है।
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प्रशासनिक व्यवस्था पर खड़े हुए सवाल
दरअसल बिहार के समस्तीपुर के कलेक्टरेट परिसर में ब्रांडेड अंग्रेजी शराब की खाली बोतलें फेंकी हुई मिली है। जिसके बाद से जिला के प्रशासनिक तंत्र में भी हड़कंप मचा हुआ है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिस परिसर में डीएम, एसपी से लेकर जिले के तमाम वरीय पदाधिकारी बैठते हैं, वहां शराब की बोतल कहाँ से आई। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है है कि परिसर तक शराब की बोलत पहुँचने में जरुर किसी बड़े अधिकारी की संलिप्तता है। क्योंकि ऐसी जगह जहां कई बड़े प्रशासनिक अधिकारी बैठते हैं और सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम रहता है वहां शराब की बोतल का पहुंच पाना आसान नहीं है।
प्रशासन का सुस्त रवैया
शराबबंदी होने के बाद भी सरकारी कार्यालय के परिसर से शराब की बोतल का मिलने का मामला काफी गंभीर है। लेकिन इस बारे में उत्पाद अधीक्षक शैलेन्द्र कुमार चौधरी से सवाल किया गया तो उनका जवाब और भी चौंकाने वाला मिला। उन्होंने कहा कि इस तरह का कोई भी मामला उनके संज्ञान में नहीं है। मीडिया द्वारा जानकारी मिली है जिसकी जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी होगी।