पटना: बिहार में जमीन खरीद-बिक्री प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी है। नई व्यवस्था के तहत, जमीन की रजिस्ट्री के बाद विक्रेता के हिस्से का रकबा तुरंत घट जाएगा और खरीदार के नाम पर ऑटोमैटिक जमाबंदी हो जाएगी। इसके लिए अलग से अंचल कार्यालय में आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी।
यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की तर्ज पर शुरू की जा रही है। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सॉफ्टवेयर को आपस में जोड़कर यह व्यवस्था लागू होगी।
पहले चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तहत पटना जिले के संपतचक और फतुहा, तथा मुजफ्फरपुर जिले के सकरा निबंधन कार्यालयों में यह सुविधा शुरू की जाएगी। इस प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे राज्य के अन्य निबंधन कार्यालयों में लागू किया जाएगा। राज्य के निबंधन मंत्री रत्नेश सदा ने अधिकारियों को जल्द से जल्द इस प्रक्रिया को लागू करने का निर्देश दिया है।
राज्य में जमाबंदी प्रक्रिया को लेकर अभी कई समस्याएं हैं।
- कई लोगों की जमीन की जमाबंदी संयुक्त है।
- कुछ प्लॉट्स का रकबा शून्य दिखता है।
- कई जमाबंदियों में नाम गलत हैं।
नई व्यवस्था से इन समस्याओं का समाधान होगा। हालांकि, जिन जमीनों पर विवाद या त्रुटियां हैं, उनके सुधार के लिए अतिरिक्त समय लगेगा। वर्तमान प्रक्रिया में, जमीन बेचने के बाद भी विक्रेता के नाम पर जमीन का पुराना रकबा ही दिखता है। इससे जमीन का दोबारा विक्रय संभव हो जाता है। नई व्यवस्था के तहत:
- रजिस्ट्री होते ही विक्रेता के रकबे में कमी दर्ज हो जाएगी।
- खरीदार के नाम पर स्वत: जमाबंदी कायम हो जाएगी।
- फर्जीवाड़ा और जमीन विवाद की संभावना खत्म होगी।
जमाबंदी प्रक्रिया के स्वचालित होने से जमीन विवादों में कमी आएगी। राज्य में अनगिनत मुकदमे इसी प्रकार के विवादों से जुड़े हैं। नई व्यवस्था लागू होने से भूमि विवाद कम होंगे और विधि-व्यवस्था बेहतर होगी।
भविष्य में सबकुछ होगा ऑनलाइन
राज्य के 137 निबंधन कार्यालयों में पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्री की सुविधा शुरू हो चुकी है। अब इन्हें पूरी तरह पेपरलेस बनाने की तैयारी है।
- पहले चरण में आरा, शेखपुरा, डेहरी, और केसरिया के निबंधन कार्यालयों में यह सुविधा शुरू होगी।
- सभी कार्य डिजिटल होंगे और अधिकारी डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करेंगे।
- फाइनल रजिस्ट्री एक मोटे कागज पर खरीदार को मिलेगी, जिसकी फोटो कॉपी विक्रेता के पास रहेगी।