विशाखापत्तनम में तैनात भारतीय नौसेना के जवानों को हनी ट्रैप के जरिए फंसाकर पाकिस्तान द्वारा जासूसी कराने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस जासूसी कांड की जड़ें बिहार के सीमांचल क्षेत्र तक फैली हुई हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने किशनगंज और कटिहार में छापेमारी की, जिसमें कई अहम सुराग हाथ लगे हैं।
सीमांचल के संदिग्धों पर पाकिस्तान से पैसे आने का आरोप
एनआईए के सूत्रों के अनुसार, किशनगंज और कटिहार में जिन संदिग्धों के परिसरों की तलाशी ली गई, वे पाकिस्तान से प्राप्त धन के जरिए जासूसी गतिविधियों को अंजाम देने में शामिल थे। बताया जा रहा है कि इन संदिग्धों को पैसे क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भेजे गए थे, जिनका उपयोग भारतीय नौसेना से जुड़ी संवेदनशील सूचनाओं को लीक करने के लिए किया जा रहा था।
नौसेना जासूसी कांड का तार बिहार से जुड़ा
एनआईए ने जुलाई 2023 में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। यह मामला मूल रूप से जनवरी 2021 में आंध्र प्रदेश पुलिस के काउंटर इंटेलिजेंस सेल द्वारा दर्ज किया गया था। इस मामले में उत्तर प्रदेश से एक पूर्व भारतीय सेना के जवान की गिरफ्तारी के बाद कई और गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें बिहार के सीमांचल का नाम भी सामने आया।
सीमांचल में क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन के जरिए धोखाधड़ी का जाल
सीमांचल क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन के जरिए पैसे के आदान-प्रदान का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। यह न केवल जासूसी गतिविधियों के लिए बल्कि आम लोगों को ठगने के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस तरह की धोखाधड़ी को लेकर केंद्रीय एजेंसियां सतर्क हो गई हैं और आने वाले दिनों में सीमांचल क्षेत्र में और छापेमारी हो सकती है।
एजेंसियों की सतर्कता
सीमांचल क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन के नाम पर हो रही धोखाधड़ी और देश विरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए केंद्रीय एजेंसियां सतर्क हो चुकी हैं। आने वाले दिनों में इस संबंध में और भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। एनआईए की ताजा कार्रवाई और बिहार में छापेमारी के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान द्वारा भारत में जासूसी के लिए हनी ट्रैप और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल हो रहा है, जिसका तार बिहार के सीमांचल तक जुड़ा है।