लोकसभा चुनाव में आज पांचवें चरण में हाजीपुर सीट (Hajipur Loksabha Seat) पर भी मतदान हो रहा है. इस बार मुकाबला रामविलास पासवान के बेटे व लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान और राजद के शिवचंद्र राम में है। पिछली बार उनके चाचा पशुपतिनाथ पारस जीते थे। इस बार चिराग यहां से लड़ना चाहते थे, इस पर काफी विवाद भी हुआ। पशुपति ने एनडीए छोड़ा, फिर मान भी गए। चिराग ने एनडीए से लोजपा के लिए इस सीट को खासतौर पर मांगा। उन्हें बिहार में पांच सीटें मिलीं। चिराग ने साफ कर दिया था कि वे पिता की सीट से ही लड़ना चाहते हैं। चिराग को जातिगत वोट, पीएम मोदी का नाम, भाजपा और जदयू के कैडर वोटों का आसरा है। वहीं, राजद के शिवचंद्र को सामाजिक समीकरणों का सहारा है। वे हाजीपुर से कई बार लड़ चुके हैं। स्थानीय हैं। दो बार राजद से विधायक और मंत्री रहे हैं।
बिहार की पांच सीटों पर आज हो रहे चुनाव में हाजीपुर सीट की चर्चा भी खूब हुई है। और इस चर्चा का विषय चिराग पासवान नहीं बल्कि उनके पिता रामविलास पासवान हैं. गूंजे धरती-आसमान, राम विलास पासवान…यह बरसों तक लगा सिर्फ पुराना चुनावी नारा नहीं है। इससे पता चलता है कि वो कद्दावर नेता राम विलास पासवान ही थे, जिन्होंने नामालूम सी लोकसभा सीट हाजीपुर को इतनी ख्याति दी।
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बीते चार दशक तक यहां की राजनीति रामविलास पासवान के इर्द-गिर्द ही घूमती रही। वे आठ बार यहां से जीते। यही नहीं, सर्वाधिक मतों से जीतने का रिकॉर्ड भी बनाया। 1977 से पहले हाजीपुर सीट की चर्चा तक नहीं होती थी, मगर इसी साल कांग्रेस विरोधी लहर पर सवार पासवान ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के बालेश्वर राम को सवा चार लाख वोट से हराया था। यह जीत गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुई और चर्चा का विषय बन गई।
पासवान की लंबी पारी
अन्य सीटों की तरह हाजीपुर भी कभी कांग्रेस और समाजवादियों का गढ़ था। यहां से 1957 और 62 में कांग्रेस के राजेश्वर पटेल जीते। 67 में कांग्रेस के वाल्मीकि चौधरी, 71 में दिग्विजय सिंह जीते। इसके बाद माहौल बदला और 77 और 80 में पासवान जनता पार्टी के टिकट पर जीते। 84 में कांग्रेस लहर में रामरतन जीते, तो 89 के चुनाव में पासवान फिर जीते। 91 में जनता दल से राम सुंदर दास जीते। इसके बाद लगातार चार बार 96,98, 99 और 2004 में अलग-अलग दलों से पासवान जीते। 2009 में जद-यू के राम सुंदर दास जीते तो 2014 में पासवान लोजपा से जीते। 2019 में उनके भाई पशुपति यहां से जीते।
जातीय समीकरण की बात करें तो इस लोकसभा सीट में कुल छह विधानसभा सीटे हैं। यहां करीब 19.53 लाख वोटर हैं। पासवान और राजपूत मतदाता तीन-तीन लाख हैं। वहीं, दो लाख वोटर मुस्लिम और ढाई लाख महादलित हैं।