बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आरजेडी और इंडिया गठबंधन अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए रणनीति तैयार कर रहे हैं। जहां पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव लगातार यात्रा कर जनता से संवाद कर रहे हैं, वहीं सियासी गठजोड़ और नए चेहरों को जोड़ने की कवायद भी जोरों पर है।
बताया जा रहा है कि आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने आरसीपी सिंह और पशुपति कुमार पारस जैसे नेताओं को साथ लाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। आरसीपी सिंह, जो कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे, अब अपनी अलग पार्टी बनाकर 2025 के चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, चर्चा है कि वे तेजस्वी यादव का समर्थन कर सकते हैं और इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन सकते हैं। वहीं दूसरी ओर पशुपति कुमार पारस, जिन्होंने एनडीए में खुद को उपेक्षित महसूस किया है, अब उनकी भी तेजस्वी यादव के साथ आने की संभावना बढ़ रही है। इसके अलावा तेजस्वी यादव की नजर दलित नेता चंद्रशेखर आजाद पर भी है। हाल ही में पटना में चंद्रशेखर आजाद ने बड़ी रैली कर दलितों के अधिकारों पर जोर दिया। इंडिया गठबंधन की ओर से उन्हें भी साथ लाने की कोशिशें जारी हैं।
आरजेडी और इंडिया गठबंधन की रणनीति में छोटी-छोटी पार्टियों को जोड़ने पर खास जोर है। वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी, लेफ्ट दल और अन्य क्षेत्रीय नेताओं को गठबंधन में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं ताकि तेजस्वी यादव की सियासी ताकत बढ़ाई जा सके। तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार को 2025 के चुनाव में एक-दूसरे के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखा जा रहा है।
एनडीए गठबंधन में फिलहाल भाजपा, जदयू, चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट दल, और अन्य छोटे दलों के साथ मजबूत हो रहा है। इंडिया गठबंधन को मजबूती देने के लिए तेजस्वी यादव और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव लगातार मंथन कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने की कोशिश हो रही है कि चुनाव से पहले नाराज नेताओं और पार्टियों को समय रहते साथ जोड़ा जाए। तेजस्वी यादव की इस सियासी कवायद का मकसद है कि बिहार में 2025 का चुनाव विपक्ष के लिए आसान बने और एनडीए को कड़ी चुनौती मिले। गठबंधन में नए चेहरों और दलों के शामिल होने से चुनावी समीकरण बदलने की संभावनाएं हैं।