शुक्रवार को मुंगेर परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि गुलाम भारत में बिहार पहले पायदान पर खड़ा था, लेकिन आजाद भारत में राजनीतिक बेईमानी के कारण बिहार पिछले पायदान पर चला गया है। आजादी के 77 वर्ष बाद भी बिहार पिछड़े राज्यों में गिना जाता है। उन्होंने बताया कि आज केंद्र सरकार द्वारा विशेष पैकेज दिया गया है, जिससे बिहार में तरक्की का दरवाजा खुलेगा।
आनंद मोहन ने कहा कि बिहार का जब बंटवारा हुआ तो खनिज संपदा, कल-कारखाने, तकनीकी शिक्षा और टूरिज्म का क्षेत्र सभी झारखंड में चला गया, जबकि बिहार में केवल पानी और बालू रह गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को विकसित करने और विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए मुहिम चलाई। हालांकि, केंद्र सरकार ने विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया, लेकिन बिहार को स्पेशल पैकेज दिया, जो कि बिहार का हक है। उन्होंने कहा कि केंद्र में स्थायी सरकार देने में बिहार का मुख्य योगदान है, और इससे बिहार के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि रोजगार, यातायात, बिजली, टूरिज्म, सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्रों में काफी काम होगा। लेकिन विपक्ष इस पर हंगामा मचा रहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिला। आनंद मोहन ने विपक्ष से पूछा कि जब यूपीए की सरकार थी तो उन्होंने क्यों नहीं आवाज उठाई? उन्होंने विपक्ष से अपील की कि हल्ला मचाने के बजाय विशेष पैकेज के तहत मिली राशि को गुणवत्तापूर्ण धरातल पर उतारा जाए, ताकि पशुपालन घोटाला जैसी घटनाएं न हों।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विशेष पैकेज के तहत मुंगेर किला और उसके चारों ओर खाई का सौंदर्यीकरण किया जाए और मुंगेर के पर्यटक स्थलों को विकसित किया जाए। इस मौके पर अधिवक्ता चंद्रभानू साहू सहित अन्य लोग भी मौजूद थे