बिहार के नए कानून मंत्री बने कार्तिकेय सिंह को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। एक अपहरण के एक मामले में कानून मंत्री कार्तिकेय कुमार खिलाफ कोर्ट द्वारा वारंट जारी किया गया है। बीते दिन 16 अगस्त को उन्हें कोर्ट के सामने पेश होना था पर वो मंत्री पद की शपथ ले रहे थे। इसको लेकर अब वो सवालों के घेरे में हैं। ये सवाल उठ रहा की जिनपर खुद अपराधिक मामले चल रहे हो वो कानून मंत्री कैसे हो सकता है।
वकील ने फरार होने की खबर को बेबुनियाद बताया
कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह के वकील ने आज शाम 4 बजे प्रेस कांफ्रेंस किया। उन्होंने कहा कि मंत्री कार्तिक सिंह के फरार होने की जो खबरें चल रही हैं वह बेबुनियाद है। भारतीय संविधान के तहत आपराधिक मुकदमे दो तरह से होते है। पहला मुकदमा जो पुलिस जांच में होता है और दूसरा मुकदमा मजिस्ट्रेट के यहां कंप्लेंन केस होता है। वकील ने कहा कि कार्तिकेय सिंह नामजद अभियुक्त नहीं हैं।
FIR में मंत्री की संलिप्तता नहीं
कार्तिकेय सिंह के वकील ने कहा कि जो FIR दर्ज की गई है उसमें कार्तिकेय सिंह की संलिप्तता बताई नहीं गई है। पुलिस की जांच में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूरे मामले में कार्तिकेय सिंह के खिलाफ कहीं से भी कोई सबूत नहीं है। वकील ने आगे कहा कि अंतिम पत्र समर्पित किया गया जिसमें उन्हें निर्दोष पाया गया है। उनके खिलाफ बेलेबल वारंट जारी किया गया था जिसे फिलहाल स्टे मिल गया है। कोर्ट से कोई भी ऐसी नोटिस नहीं मिली जिसमें यह बताया गया हो कि उन्हें 16 अगस्त को पेश होना था।