बिहार में महागठबंधन की सीटों का बंटवारा हो गया है। पटना में राजद ऑफिस में जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया गया। RJD 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि कांग्रेस को 9 और लेफ्ट को 5 सीटें मिली हैं। लेफ्ट की पांच सीटों में से माले 3, CPI बेगूसराय और CPM खगड़िया से चुनाव लड़ेगी। इस बार सबसे बड़ी परीक्षा वामदलों की है। पिछले दो दशक से वामदलों को बिहार में लोकसभा की एक भी सीट नहीं मिल सकी है।
वामदलों को इस बार महागठबंधन में शामिल होकर जीत की उम्मीद है। उन्हें पांच सीटें मिली हैं। इनमें आरा सीट पर भाकपा माले (आरपीएफ) के रामेश्वर प्रसाद ने 1989 में जीत दर्ज की थी। इसके अलावा भाकपा ने बेगूसराय सीट पर जीत दर्ज की है। अन्य तीन सीटों पर भाकपा माले और माकपा को कभी जीत नहीं मिल सकी है। भाकपा को अंतिम बार 1996 में बेगूसराय (बलिया) सीट पर जीत मिली थी। भाकपा की ओर से शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज कराई थी।
लोस चुनाव 2019 की तुलना में इस बार भाकपा माले एक सीट कम लड़ेगी। 2019 में भाकपा माले ने आरा, काराकाट, सीवान और जहानाबाद से उम्मीदवार उतारा था। इस बार भाकपा माले आरा, काराकाट और नालंदा से मैदान में है। आरा में भाकपा माले का राजद का समर्थन मिला था, जबकि भाकपा माले की ओर से एनडीए के खिलाफ राजद, कांग्रेस को समर्थन दिया गया था। भाकपा माले ने बेगूसराय में भाकपा और उजियारपुर में माकपा को समर्थन दिया था।
भाकपा ने इससे पहले खगड़िया लोकसभा चुनाव में तीन बार अपने प्रत्याशी उतारे हैं। 1971 में खगड़िया से माकपा नेता कृष्णकांत सिंह प्रत्याशी थे। 1984 में योगेश्वर गोप और 2014 में जगदीश चंद्र बसु माकपा के उम्मीदवार थे। इस बार माकपा ने संजय कुमार को उम्मीदवार बनाया है। 58 वर्षीय संजय कुमार 1979 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया की सदस्यता ली थी।
भाकपा ने बेगुसराय (बलिया) सीट अंतिम बार 1996 में जीती थी। तब शत्रुघ्न प्रसाद सिंह को जीत मिली थी। 2014 में राजेंद्र प्रसाद सिंह भाकपा के उम्मीदवार थे, लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे थे। 2019 के चुनाव में वहां से कन्हैया कुमार भाकपा उम्मीदवार थे और वे दूसरे स्थान पर रहे।